- रूस और यूक्रेन के बीच 7वें दिन की जंग जारी
- यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का दावा- अब तक 6 हजार रूसी सैनिक मारे गए
- रूसी सेना का दावा-खेरसन पर पूरी तरह रूसी कब्जा
भारत में यूक्रेन के राजदूत इगोर पोलिखा ने मंगलवार को अपने देश में रूस के सैन्य अभियान की तुलना राजपूतों के खिलाफ मुगलों द्वारा किए गए नरसंहार से की। यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में रूसी गोलाबारी में भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मौत के बाद विदेश मंत्रालय का दौरा करने वाले पोलिखा ने कहा कि उनका देश दुनिया के हर प्रभावशाली नेता से आग्रह कर रहा है कि हमले को रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ हर संभव संसाधनों का उपयोग किया जाए। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं।
उन्होंने कहा कि यह मुगलों द्वारा राजपूतों के खिलाफ किए गए नरसंहार की तरह है। हम दुनिया के सभी प्रभावशाली नेताओं से कह रहे हैं, जिनमें मोदी जी भी शामिल हैं, पुतिन के खिलाफ बमबारी और गोलाबारी रोकने के लिए हर संसाधन का इस्तेमाल करें।
यूक्रेन पर रूस ने हमला तेज कर दिया है। रिपोर्टों की मानें तो रूस की सेना राजधानी कीव एवं सूमी पर हवा हमले कर सकती है। कीव में हवाई हमले के सायरन सुने गए है और लोगों को शेल्टर में जाने के लिए कहा गया है। सूमी में भी हवाई हमले का अलर्ट जारी हुआ है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि उसकी फौज ने खरसोन के रीजनल सेंटर पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए रूस ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। रूसी सेना शहरों में भीषण हमले कर रही है। इमारतों पर मिसाइलें एवं बम बरसाए जा रहे हैं। खारकीव स्थित पुलिस मुख्यालय पर भीषण हमला हुआ है। इस हमले में पुलिस मुख्यालय की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई है। हमले के बार इमारत में आग लग गई और उसका मलबा टूटकर नीचे गिरने लगा।
यूक्रेन पर कहर बनकर टूट रहा रूस, बमबारी से तबाह हुईं इमारतें, पुलिस मुख्यालय
रूस के हमले के बाद से यूक्रेन में भीषण तबाही का आलम है। हर तरफ रूसी सेना हावी होती जा रही है। रूस की बमबारी जा रही है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग हताहत हो रहे हैं। यूक्रेन कड़ाई से रूसी सैनिकों का प्रतिरोध कर रहा है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि युद्ध के छह दिनों में लगभग 6000 रूसी सैनिक मारे गए हैं।
यूक्रेन के वार जोन में पहुंचा टाइम्स नाउ नवभारत, रिपोर्ट में जानिए क्या हैं जमीनी हालात