- देश की करीब 55-60 लोक सभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर आदिवासी वोटर सीधे असर रखते हैं।
- 9 राज्य ऐसे हैं, जहां पर आदिवासी समुदाय का बेहद असर है।
- 2024 के लोकसभा चुनाव और उसके पहले 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोटर बड़ा असर डालेंगे।
Droupadi Murmu President Candidate: भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुआई वाले एनडीए (NDA) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना है। मुर्मू अगर चुनाव जीतती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी (Schedule Tribe) राष्ट्रपति होगीं। इसके अलावा वह दूसरी महिला राष्ट्रपति बनेंगी। भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के खिलाफ उतारकर 2024 के लिए बड़ा दांव चल दिया है। क्योंकि देश की करीब 55-60 लोक सभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर आदिवासी वोटर सीधे असर रखते हैं। इसके अलावा 9 राज्य ऐसे हैं, जहां पर आदिवासी समुदाय का बेहद असर है। और इनमें से 5 राज्यों में 2024 के लोक सभा चुनाव के पहले विधान सभा चुनाव होंगे। इसके अलावा आदिवासी दांव से विपक्ष की एकजुटता भी मुश्किल दिखाई दे रही है। और इसकी शुरूआत झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के मुर्मू को समर्थन देने के संकेत से हो गई है।
देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति मिलना तय !
अगर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर एनडीए और विपक्षी दलों के संख्या बल को देखा जाय तो एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की जीत लगभग तय है। और यह इसलिए और पक्की हो गई है। क्योंकि यूपीए के घटक दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी मुर्मू के उम्मीदवारी का समर्थन कर दिया है। इसके अलावा बीजू जनता दल के नेता नवीन पटनायक ने भी समर्थन को लेकर तस्वीर साफ कर दी है। पटनायक ने ओडीसा से आने वाली मुर्मू को उम्मीदवार बनाए जाने को गौरव का क्षण बताया है। इसी तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा है कि मुर्मू एक योग्य उम्मीदवार हैं और एक आदिवासी को यह मौका दिया गया है जिसका हम स्वागत करते है। उन्होंने यह भी कहा है कि सर्वोच्च पद के लिए सर्वसम्मति से चयन होना चाहिए। उनके इस बयान से साफ है कि मुर्मू को झारखंड मुक्ति मोर्चा भी समर्थन देने का ऐलान कर सकती है।
इन दोनों दलों के मुर्मू के समर्थन में आने के बाद एनडीए के लिए बहुमत आंकड़ा छूने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। क्योंकि एनडीए के पास पहले से ही 48 फीसदी से ज्यादा वोट है। और उसे बहुमत के लिए 12-13 हजार वोटों की जरूरत है। जो कि बीजू जनता दल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थन से आसानी से पूरी हो जाएगी। इसके अलावा आम आदमी पार्टी, वाईआरएस कांग्रेस, बसपा और तेलगुदेशम पार्टी के भी एनडीए के साथ जाने की संभावना है। इस बार के चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज में 4809 सदस्य शामिल है। इनमें लोकसभा के 543, राज्य सभा के 233 और विधानसभाओं के 4033 सदस्य वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेंगे। इसके आधार पर चुनाव के लिए 10.86 लाख से ज्यादा वोट वैल्यू होगी। इसमें से बहुमत के लिए करीब 5.43 लाख से ज्यादा वोटों की जरूरत पड़ेगी।
लोकसभा और 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों पर सीधा असर
भाजपा अध्यक्ष जे.पी.नड्डा जब मंगलवार रात द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी की घोषणा कर रहे थे तो उन्होंने इस बात पर सबसे ज्यादा जोर दिया था कि एनडीए घटक दलों का मानना है कि देश को आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति मिलना चाहिए। जाहिर है ऐसा कर वह सीधे तौर पर देश की करीब 60 लोकसभा सीटों पर असर रखने वाले आदिवासी समुदाय को भी संदेश दे रहे थे। इस समय 543 सदस्यों वाली लोक सभा में 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा करीब 13 सीटें ऐसी हैं जहां पर आदिवासी समुदाय का असर है।
राज्य | आदिवासी समुदाय की आबादी |
झारखंड | 26.3 % |
गुजरात | 15 % |
राजस्थान | 13.48 % |
मध्य प्रदेश | 21.10 % |
छत्तीसगढ़ | 30.6 % |
ओडीशा | 22.8 % |
महाराष्ट्र | 11.0 % |
इसी तरह गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडीसा, त्रिपुरा, झारखंड, मणिपुर, महाराष्ट्र ऐसे राज्य हैं, जहां पर आदिवासी समुदाय का अच्छा खासा असर है। इनमें से गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा में 2024 के पहले विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इन राज्यों में आदिवासी समुदाय को लुभाने के लिए आदिवासी राष्ट्रपति का दांव कारगर साबित हो सकता है।