- पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में हो रहे हैं चुनाव, तीन चरण में संपन्न हो चुके हैं चुनाव
- ममता बनर्जी ने प्रचार के दौरान सीआरपीएफ टीम के घेराव का किया था ऐलान
- ममता के इस बयान पर चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस
कोलकाता। बंगाल में तीन चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है। लेकिन वहां की फिजा में सियासी शोर इसलिए बदस्तुर जारी है क्योंकि अभी पांच चरण के चुनाव शेष भी हैं। इन सबके बीच नेताओं की जुबां भी फिसल रही है। लेकिन सबसे बड़ी हैरानी ममता बनर्जी को लेकर जो बार बार अपना आपा खो रही हैं। अब सवाल यह है कि जिस तरह से वो बीजेपी पर हमला कर रही हैं वो उनकी रणनीति का हिस्सा है या वो हताश हो चुकी हैं। इन सबके बीच चुनाव आयोग ने उनके सीआरपीएफ वाले बयान पर नोटिस भेजा है।
सीआरपीएफ टीम के घेराव का मामला
दरअसल ममता बनर्जी ने पहले मतदाताओं और अपने समर्थकों से कहा था कि वो सीआरपीएफ टीम का घेराव करें। क्योंकि उन्हें शक है कि सीआरपीएफ टीम उनके समर्थकों को मत देने से रोक रही है इसके साथ ही एक महिला के साथ बदसलूकी के केस भी उठाया। लेकिन सीआरपीएफ के डीजी ने साफ साफ कहा कि आरोपों में सच्चाई नहीं है। इन सबके बीच चुनाव आयोग ने नोटिस के जरिए ममता बनर्जी से जवाब मांगा है कि उन्होंने घेराव जैसी बात क्यों कही।
विवाद बढ़ा तो ममता के सुर पड़े नरम
जब इस विषय पर विवाद बढ़ा तो ममता बनर्जी की तरफ से सफाई भी आ गई। उन्होंने कहा कि वो सीआरपीएफ का सम्मान करती हैं, लेकिन सीआरपीएफ के लोग अमित शाह की बात ना मानें, उनकी बात मानें क्योंकि केंद्र सरकार की नीयत ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि देश की बेहतरीन फोर्स के लिए उनके मन में पूरा सम्मान है। लेकिन जिस तरह से महिलाओं के साथ अभद्रता का मामला सामने आया है तो वो किसी के लिए ठीक नहीं होगा। उस तरह के केस में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी तो अमित शाह किसी को बचाने नहीं आएंगे। इस तरह के बयान पर सीआरपीएफ के डीजी ने कहा उनकी फोर्स पेशेवर हैं और इस समय चुनाव आयोग के निर्देशन में हम काम कर रहे हैं।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि अगर 2011, 2016 और 2019 के चुनावी अभियान को देखें तो ममता बनर्जी आक्रामक होकर हमले करती थीं। लेकिन इस दफा वो उन बातों पर भी रिएक्ट कर रही हैं जिसका कोई अर्थ नहीं है। चुनावी अभियान में नेताओं के आक्रामक तेवर से कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ जाता है। लेकिन जिस तरह से ममता अपना आपा खो रही हैं वो चुनावी रणनीति नहीं हो सकती। दरअसल ममता बनर्जी को बीजेपी की तरफ से कड़ी चुनौती मिल रही है। उसके साथ जिस तरह से फुरफुराशरीफ के पीरजादा चुनावी प्रचार कर रहे हैं वैसे में उन्हें लगता है कि मुस्लिम मतों में थोड़ी सी सेंध भी नबन्ना की राह कठिन कर सकती है।