- पीएम की सुरक्षा में चूक का मामला लगातार पकड़ रहा है तूल
- पूर्व अधिकारियों ने राज्य सरकार द्वारा "जानबूझकर और सुनियोजित तरीके से सुरक्षा चूक" का आरोप लगाया
- पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक पीसी डोगरा और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी प्रवीण दीक्षित भी पत्र लिखने वालों में शामिल
नई दिल्ली: पंजाब दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। राजनीतिक बयानबाजी के बाद अब मामला सुप्रीम कोर्ट से लेकर राष्ट्रपति तक के पास पहुंच गया है। देश के 16 पूर्व DGP और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 27 पूर्व अधिकारियों ने राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री जी के सुरक्षा में हुई चूक तथा पंजाब सरकार की चूक को लेकर त्वरित कार्यवाही एवं जवाबदेही तय करने की मांग की है।
पूर्व IPS अधिकारियों का पत्र
इसके साथ ही उन्होंने प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर राज्य सरकार द्वारा 'जानबूझकर और सुनियोजित तरीके से सुरक्षा चूक" का आरोप लगाया। राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने कहा कि यह "देश के इतिहास में सबसे गंभीर सुरक्षा चूकों में से एक था जिसे साजिश और मिलीभगत से अंजाम दिया गया।' उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रधानमंत्री के मार्ग को अवरुद्ध करना न केवल सुरक्षा में एक बड़ी चूक थी बल्कि तथाकथित प्रदर्शनकारियों के साथ राज्य मशीनरी की मिलीभगत का खुला प्रदर्शन भी किया।
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एक्शन लेने की मांग
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पीसी डोगरा और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी प्रवीण दीक्षित शामिल हैं। पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने पत्र में कहा कि घटना की गंभीरता और इसके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव ने उन्हें उचित कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति से संपर्क करने के लिए बाध्य किया। उन्होंने कहा कि एक फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री के काफिले का 15 से 20 मिनट के लिए योजनाबद्ध तरीके से ठहराव पंजाब में खराब कानून व्यवस्था को दर्शाता है और यह हमारे देश में लोकतंत्र के लिए खतरा है।
कैसे लीक हुई जानकारी
पत्र में कहा गया है कि पंजाब पुलिस राज्य के भीतर मोदी की यात्रा और उनकी सुरक्षा के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार थी और उसे स्थापित ‘प्रोटोकॉल’ के अनुसार सभी मार्गों पर सुरक्षित रास्ता मुहैया कराना था। पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने कहा कि यह समझ से परे है कि प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री के मार्ग के बारे में कैसे जानकारी मिली क्योंकि सूचना केवल राज्य के पुलिस अधिकारियों के साथ साझा की गई थी।