- भाजपा भी किसी जाट नेता को राज्यसभा का उम्मीदवार बना सकती है।
- जयंत चौधरी 2014 से संसद से दूर हैं।
- पश्चिमी यूपी में जाट और मुस्लिम वोटर हमेशा से प्रभावी रहे हैं।
Rajya Sabha Election:अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव की जगह राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाकर बड़ा दांव चल दिया है। उनका यह दांव 2024 के लोकसभा चुनावों पर भी असर डालेगा। और इस गणित को देखते हुए भाजपा के लिए भी नई चुनौती खड़ी हो गई है। शायद यही कारण है कि अब भाजपा भी राज्यसभा के उम्मीदवारों की घोषणा में पश्चिमी यूपी से किसी बड़े जाट नेता की तलाश में है। असल में जयंत चौधरी को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाकर अखिलेश ने सपा और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन को और मजबूत कर लिया है।
विधानसभा चुनावों में हुई थी डील
फरवरी-मार्च में जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हो रहे थे, तो उस वक्त समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल में गठबंधन हुआ था। सूत्रों के अनुसार उस वक्त अखिलेश और जयंत चौधरी की इस बात को लेकर डील हुए थी। जिसमें यह तय हुआ था कि अगर सरकार नहीं बनती है तो जयंत चौधरी राज्यसभा जाएंगे। असल में 2014 से जयंत चौधरी संसद से दूर है। वह 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव हार गए थे। ऐसे में उनका राज्यसभा में जाना पार्टी के लिए बड़ा बूस्ट मिलेगा।
2024 में कोई नहीं खतरा
अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने का फैसला कर 2024 तक के लिए अपने गठन को मजबूत करने का दांव चला है। जब से 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा की हार हुई है। उसके बाद अखिलेश यादव के साथियों के तेवर गरम हो गए हैं। उन्हें पार्टी के अंदर से लेकर सहयोगियों तक से चुनौती मिल रही है। एक तरह पार्टी के अंदर आजम खान सहित दूसरे मुस्लिम नेता उनसे नाराज है। वहीं ओम प्रकाश राजभर के भी तेवर तीखे हैं। इस तरह की संभावना जताई जा रही थी कि अगर जयंत चौधरी को नहीं साधा गया तो 2024 तक उनका साथ मुश्किल हो सकता है। इन्हीं चुनौती को देखते हुए जाट वोटर को अखिलेश यादव अपने साथ बनाए रखना चाहते हैं। जिसका उन्हें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर फायदा मिला था।
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भाजपा भी खेल सकती है बड़ा दांव
अखिलेश यादव की इस रणनीति के बाद साफ है कि भाजपा के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है। ऐसे में यह संभावना है कि भाजपा भी किसी जाट नेता को राज्यसभा का उम्मीदवार बना सकती है। क्योंकि वह यह नहीं चाहेगी कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट आबादी में यह संदेश जाए कि भाजपा ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया है। सूत्रों के अनुसार इसको लेकर मंथन भी शुरू हो गया है। ऐसे में किसी कद्दावर नेता को उम्मीदवार बनाया जा सकता है।