- तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर करीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं किसान
- सरकार और किसानों के बीच 9 दौर की हो चुकी है बातचीत, रही बेनतीजा
- किसानों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टरों के जरिए शांति मार्च निकालने का किया है ऐलान
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन को करीब दो महीने पूरे होने वाले हैं। सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा लेकिन फिर भी हल निकलता हुआ नहीं दिख रहा है। इन सबके बीच किसानों ने अब 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर यात्रा की तैयारियां तेज कर दी हैं। इस मार्च के लिए पंजाब में कई जगहों पर तैयारियां जोरों से चल रही है जो सरकार के लिए भी चिंताजनक हो सकती हैं।
ट्रैक्टरों को किया जा रहा है मोडिफाई
कहने को तो किसान कह रहे हैं कि यह शांति मार्च होगा लेकिन जिस तरह से तैयारियां चल रही हैं उसे देखकर लगता है कि कहीं शांति मार्च में हिंसा ना हो जाए। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, जालंधर, लुधियाना और कई जिलों में ट्रैक्टरों को विशेष रूप से मोडिफाई किया जा रहा है और इनके आगे लोहे के तीखे रॉड लगाए जा रहे हैं ताकि अगर उनके मार्ग में कोई अवरोधक या बैरिकेड आता है तो उसे तोड़कर वो आगे बढ़ते रहें और पुलिस पीछे हटने पर मजबूर हो जाए। कुंडली बॉर्डर पर तो कुछ ट्रैक्टरों को बख्तरबंद बनाया जा रहा है जिनमें कांच के केबिन बने हुए हैं।
ज्यादा हॉर्स पावर वाले ट्रैक्टर
इसी तरह किसान कम हॉर्स पावर वाले ट्रैक्टरों की जगह इस बार अपने ट्रैक्टर मार्च के लिए 55 की जगह 120 से लेकर 189 हार्स पावर वाले ट्रैक्टरों को तैयार कर रहे हैं। मतलब साफ है कि यदि राह में कोई अड़चन आती है तो उसे हटाया जा सके। इसी तरह ट्रैक्टरों के आगे लोहे की बड़ी प्लेटें भी लगाई जा रही है। हालांकि किसान संगठनों ने किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की है लेकिन तैयारियां देखकर ऐसा लग रहा है कि अगर पुलिस से टकराव हुआ तो इस बार बल प्रयोग भी हो सकता है।
सिरसा ने शेयर किया वीडियो
अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक अत्याधुनिक टैक्ट्रर का वीडियो अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा है कि किसान संघर्ष में सबसे महंगा ट्रैक्टर भाग लेने के लिए तैयार है। इस वीडियो में एक शख्स कहता है, 'हम अपने ट्रैक्टर पर तोप लगाएंगे और उससे एक संदेश देंगे कि यदि सरकार ने किसी भी किसान भाई के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की तो फिर तोप से आपके ऊपर हमला करने का काम करेंगे।'
नौ दौर की हो चुकी है बातचीत
आपको बता दें कि किसान नेताओं और सरकार के बीच अभी तक नौ दौर की वार्ता हो चुकी है। सरकार ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से तीन कृषि कानून के बारे में अपनी आपत्तियां और सुझाव रखने एवं ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिये एक अनौपचारिक समूह गठित करने को कहा जिस पर 19 जनवरी को अगले दौर की वार्ता में चर्चा हो सकेगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार का रूख लचीला है और उन्होंने किसान संगठनों से भी रूख में लचीलापन लाने की अपील की ।