- किसानों के समर्थन में कांग्रेस ने हल्लाबोल का किया आयोजन
- पिछले 51 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं किसान
- किसानों और केंद्र सरकार के बीच 9वें दौर की बातचीत भी रही नाकाम
नई दिल्ली। कृषि कानून पर शुक्रवार को विज्ञान भवन में 9वें दौर की वार्ता हो रही थी तो दूसरी तरफ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी इस मुद्दे पर राजभवन का घेराव कर रहे थे। जंतर मंतर पर पहुंचने के बाद राहुल गांधी ने मीडियाकर्मियों से पूछ लिया कि क्या आपने माया शब्द सुना है। यह मीडिया निर्मित है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से जुड़े लोग अन्नदाताओं को खालिस्तानी बता रहे हैं। लेकिन उनके इस बयान पर शिरोमणि अकाली दल सांसद हरसिमरत कौर बादल ने राहुल गांधी को याद दिला दी कि उनकी दादी पंजाबियों को क्या कहा करती थीं।
घड़ियाली आंसू न बहाएं राहुल गांधी
पीसी करने से पहले और घड़ियाली आंसू बहाने से पहले याद किये होते कि पंजाबी समाज को खालिस्तानी क्यों कहा जा रहा है। आप को बताना चाहिए कि आपकी दादी ने इस शब्द का इस्तेमाल क्यों किया था। क्यों आपके पिता ने उन्हें मार डाला और आपने उन्हें क्यों ड्रेग एडिक्ट करार दिया। ए बार जब आपके पास इन सवालों का जवाब हो तो निश्चित तौर पर पंजाब के किसानों से बात करें।
किसान जब पंजाब में धरने पर थे तो कहां थे
हरसिमरत कौर ने कहा कि जब पंजाब के किसान धरना दे रहे थे तो आप कहां थे। जब संसद में बिल पारित किया गया तो कहां। जिस समय राज्यसभा में इस विषय पर कार्यवाही चल रही थी तो आपके 40 सांसद गैरमौजूद क्यों थे। आप के सीएम अब बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार के साथ हैं। क्या राहुल गांधी को लगता है कि फैंसी सहानुभूतिपूर्ण शब्द के जरिए वो अपराधमुक्त हो पाएंगे।
क्या है जानकारों की राय
अब सवाल यह है कि हरसिमरत कौर बादल ने सीधे तौर पर राहुल गांधी को क्यों घेरा। दरअसल पंजाब में जिस तरह से अमरिंदर सरकार ने किसानों के आंदोलन के संबंध में आवाज उठाई उसके बाद शिरोमणि अकाली दल को लगने लगा कि अगर वो बड़ा फैसला नहीं उठाते हैं तो उसका नुकसान उठाना पड़ेगा। उसी क्रम में हरसिमरत कौर सरकार से अलग हुईं और पार्टी ने एनडीए का साथ छोड़ दिया। अब जबकि कांग्रेस ने खालिस्तानी शब्द का जिक्र किया तो शिरोमणि अकाली दल को लगा कि यह एक बेहतर मौका है जिसमें इमोशन का तड़का देकर किसान समाज को अपनी तरफ मोड़ा जा सकता है।