नई दिल्ली: किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने सिंघू बॉर्डर से बताया है कि आज पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक हुई और उसमें ये फैसला किया गया कि केंद्र सरकार की चिट्ठी पर कल की बैठक में फैसला लिया जाएगा। आज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि केंद्र द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर क्या निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री 26 जनवरी को भारत आने वाले हैं। हम ब्रिटिश सांसदों को पत्र लिख रहे हैं कि जब तक भारत सरकार द्वारा किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तब तक वे ब्रिटेन के पीएम को भारत आने से रोकें।
इससे पहले किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार द्वारा बरगलाया जा रहा है और किसान संगठनों पर चक्रव्यूह रचने का प्रयास किया जा रहा है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के श्रवण सिंह पंढेर ने कहा कि सरकार की तरफ से एक खत आया कि अगर आप कृषि कानून वापस लेने वाली बात से पीछे हटकर संशोधन करने के लिए बात करना चाहते हैं तो समय और तारीख दो। किसान संगठनों पर चक्रव्यूह रचने का प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, 'सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर अपनी स्थिति तय की है कि उन्हें वापस नहीं लिया जाएगा। उन्होंने एक पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया कि यदि किसान इन कानूनों में संशोधन चाहते हैं, तो उन्हें चर्चा के लिए तारीख और समय बताना होगा। यह सरकार द्वारा आगे बढ़ाया गया एक कदम नहीं है, बल्कि किसानों को बरगलाए जाने का एक तरीका है। एक सामान्य व्यक्ति यह सोचेगा कि किसान जिद्दी हैं लेकिन तथ्य यह है कि हम कृषि कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं, हम चाहते हैं कि उन्हें पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए।'
सरकार को भी मिल रहा समर्थन
इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संघर्ष समिति और भारतीय किसान यूनियन के नेताओं के साथ कृषि भवन में बैठक की। बैठक के बाद तोमर ने कहा, 'आज अनेक किसान यूनियन के पदाधिकारी आए और उनकी ये चिंता है कि सरकार बिलों में कोई संशोधन करने जा रही है। उन्होंने कहा है कि ये बिल किसानों की दृष्टि से बहुत कारगर हैं, किसानों के लिए फायदे में हैं और बिल में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।' वहीं बातचीत के लिए किसानों को भेजी गई चिट्ठी पर उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि जल्दी उनका विचार-विमर्श पूरा होगा, वो चर्चा करेंगे और हम समाधान निकालने में सफल होंगे।