- 30 जनवरी को किसान संगठनों ने सद्भावना दिवस मनाने का किया है फैसला
- हरियाणा सरकार के 14 जिलों में शनिवार शाम पांच बजे तक इंटरनेट सेवा पर रोक
- किसान संगठनों ने इंटरनेट सेवा पर लगी पाबंदी पर जताया ऐतराज
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का आंदोलन जारी है, हालांकि कुछ गुट अलग हो चुके हैं। 26 जनवरी की घटना के बाद किसान नेता कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। लेकिन तेवर पहले की तरह बरकरार है। शुक्रवार को सिंघु बार्डर पर स्थानीय लोगों और किसानों के बीच झड़प हो गई जिसमें अलीपुर के एसएचओ पर तलवार से हमला किया गया। उस मामले में कुल 44 लोगों की गिरफ्तारी की गई है। इन सबके बीच किसान संगठनों का कहना है कि हरियाणा के जिन जिलों में इंटरनेट सेवा पर रोक लगाई गई है उसके खिलाफ वो विरोध करेंगे।
30 जनवरी को सद्भावना दिवस का ऐलान
किसान नेता अमरजीत सिंह राडा ने कहा कि हमने 30 जनवरी को सद्भावना दिवस मनाने का फैसला किया है। हमारे नेता सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक उपवास करेंगे। उन्होंने कहा कि वो पूरे देशवासियों से अपील करते हैं कि वो भूख हड़ताल में बढ़चढ़ कर हिस्सा लें। इन सबके बीच अखिल भारतीय किसान महासंघ के अध्यक्ष प्रेम सिंह भंगू ने कहा कि 27 जनवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिसमें बताया गया कि परेड के उल्लंघन के लिए कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। 26 तारीख को एफआईआर दर्ज की गई, इसलिए नोटिस अप्रासंगिक है।
इंटरनेट सेवा पर लगी पाबंदी का विरोध
क्रांतिकारी किसान यूनियन के नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि हम उन क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं की बहाली की मांग करते हैं जहां आंदोलन चल रहा है। अन्यथा, हम देश में इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार की दमनकारी नीति के सामने वो लोग झुकने वाले नहीं हैं। उन लोगों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि 26 जनवरी की हिंसा से उनका किसी तरह का लेनादेना नहीं है। सरकार जानबूझकर किसानों के पवित्र आंदोलन को नष्ट करने की साजिश कर रही है।
पश्चिमी यूपी से दिल्ली की तरफ कूच करेंगे किसान
इसके साथ ही गाजीपुर बार्डर पर राकेश टिकैत के समर्थन में मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत हुई जिसमें हजारों की संख्या में किसान शामिल हुए। उस महापंचायत की खास बात यह थी कि जो आंदोलन अब तक सियासी नहीं था वो सियासी हो गया। किसानों की महापंचायत में कांग्रेस, आप और आरएलडी के नेता शामिल हुए। राकेश टिकैत की अगुवाई में हुई फैसला लिया गया कि शनिवार को बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे।