नई दिल्ली : कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के प्रदर्शन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि किसान समूहों के साथ केंद्र सरकार की बातचीत से कोई परिणाम निकलता नहीं दिख रहा है, इसलिए वह सरकार , किसानों एवं विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक समिति बनाएगी ताकि इस समस्या का हल निकल सके। शीर्ष न्यायालय ने नोटिस जारी करते हुए किसान संगठनों से समिति का हिस्सा बनने के लिए कहा क्योंकि यह मसला शीघ्र ही राष्ट्रीय मुद्दा हो जाएगा। कोर्ट आज फिर इस मामले की सुनवाई करेगा। उम्मीद है कि न्यायालय इस मामले में कोई फैसला सुना सकता है।
इन कानूनों की व्यवहार्यता कोर्ट नहीं तय कर सकता-यादव
हालांकि समिति बनाने के कोर्ट के प्रस्ताव को आंदोलन में शामिल 40 किसान संगठनों में से एक राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा ने पेशकश को ठुकराया है।
स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव ने ट्विटर पर कहा है, ‘उच्चतम न्यायालय तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिकता तय कर सकता है और उसे ऐसा करना चाहिए। लेकिन इन कानूनों की व्यवहार्यता और वांछनीयता को न्यायपालिका तय नहीं कर सकती है। यह किसानों और उनके निर्वाचित नेताओं के बीच की बात है। न्यायालय की निगरानी में वार्ता गलत रास्ता होगा।’ स्वराज इंडिया भी किसान आंदोलन के लिए गठित समूह संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल है और यादव फिलहाल अलवर में राजस्थान सीमा पर धरने पर बैठे हैं।
कोर्ट ने समिति बनाने की बात कही है
प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबड़े, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति रामासुब्रमणियन की पीठ ने कहा, ‘उसमें हम सरकार के सदस्य और किसान संगठनों के सदस्यों को शामिल करेंगे। जल्दी ही यह राष्ट्रीय मुद्दे का रूप भी ले सकता है। हम शेष भारत के किसान संगठनों के सदस्यों को भी इसमें शामिल करेंगे। आप समिति के सदस्यों के नाम की एक सूची प्रस्तावित करें।’ न्यायालय ने इस मामले में किसान संगठनों को पक्ष बनाते हुए उनसे बृहस्पतिवार तक जवाब देने को कहा है। पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘आपकी बातचीत से लगता है कि बात नहीं बनी है।' पीठ ने कहा, ‘उसे असफल होना ही था। आप कह रहे हैं कि आप बातचीत के लिये तैयार हैं।’
सॉलिसीटर जनरल बोले-सरकार किसानों से बातचीत के लिए तैयार
इसपर मेहता ने कहा, ‘हां, हम किसानों से बातचीत के लिये तैयार हैं।’इसपर जब पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल से पूछा कि क्या वह उन किसान संगठनों के नाम मुहैया करा सकते हैं जिनके साथ सरकार बातचीत कर रही है। मेहता ने कहा, ‘वे भारतीय किसान यूनियन और दूसरे संगठनों के सदस्य हैं, जिनके साथ सरकार बात कर रही है।’ उन्होंने कहा कि सरकार विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठनों से बातचीत कर रही है और उन्होंने न्यायालय को उनके नाम बताये।