नई दिल्ली: पिछले 8 महीनों से 3 कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ वोट की अपील करेंगे। किसानों ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भी लोगों से बीजेपी को वोट न करने की अपील की थी। अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले किसानों ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है।
हाल ही में किसान नेता राकेश टिकैत ने दिल्ली की तरह ही लखनऊ को भी घेरने का ऐलान किया। उन्होंने कहा था, 'लखनऊ को भी दिल्ली बनाया जाएगा जिस तरह दिल्ली में चारों तरफ के रास्ते सील हैं, ऐसे ही सील होंगे। हम इसकी तैयारी करेंगे।'
इस पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। भाजपा उत्तर प्रदेश के ट्विटर हैंडल से एक कार्टून शेयर किया गया है, जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि किसानों के लिए लखनऊ दिल्ली जितना आसान नहीं रहने वाला है। इससे ये भी कहा जा सकता है कि बीजेपी ने लखनऊ को लेकर किसानों को सीधे-सीधे खामियाजा भुगतने की चेतावनी दी है।
बीजेपी यूपी ने ट्वीट कर कहा है, 'ओ भाई जरा संभल कर जइयो लखनऊ में...'। कार्टून में लिखा है- सुना लखनऊ जा रहे तुम..किमे पंगा न लिए भाई..योगी बैठया है बक्कल तार दिया करे और पोस्टर भी लगवा दिया करे। अब ऐसे में सवाल है क्या किसान इसके बाद अपनी रणनीति बदलेंगे या वो लखनऊ में भी अपने आंदोलन का विस्तार करने जाएंगे?
ये है किसानों की रणनीति
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में महारैली और उत्तर प्रदेश के सभी मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत आयोजित करने की घोषणा की है। मोर्चा ने उत्तर प्रदेश में अपने आंदोलन के लिए चार चरणों की रणनीति बनाई है। किसान नेताओं ने दिल्ली की तरह लखनऊ को भी चारों तरफ से घेरने की चेतावनी दी है। टिकैत ने कहा था, 'अब लखनऊ को भी दिल्ली की तरह बनाया जाएगा और जिस तरह दिल्ली में चारों तरफ के रास्ते सील हैं, ऐसे ही लखनऊ के चारों तरफ के रास्ते किसानों द्वारा सील किये जाएंगे। हम इसकी तैयारी करेंगे।'
नेताओं ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आंदोलन की धार तेज होगी और इस मिशन का उद्देश्य होगा कि पंजाब और हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में भी हर गांव किसान आंदोलन का दुर्ग बने, कोने-कोने में किसान पर हमलावर कॉरपोरेट सत्ता के प्रतीकों को चुनौती दी जाए और किसान विरोधी भाजपा और उसके सहयोगियों का हर कदम पर विरोध हो। उन्होंने कहा कि आज भारतीय खेती और किसानों को कॉर्पोरेट और उनके राजनीतिक दलालों से बचाना है।