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- सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में जैश का टॉप कमांडर शैफुल्ला ढेर
- पुलवामा आतंकी वारदात 2019 का था मास्टरमाइंड
- शैफुल्ला लोगों को आईईडी लगाने में ट्रेंड करता था।
14 फरवरी 2019 के दिन का भूल पाना आसान नहीं होगा। जम्मू से सीआरपीएफ का काफिला श्रीनगर के लिए चल पड़ा था। लेकिन पुलवामा के अवंतीपोरा के पास आतंकियों मे काफिले पर विस्फोटकों से भरी कार से हमला कर दिया। उस घटना के लिए 19 लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया जिसमें सात मारे जा चुके हैं, सात गिरफ्तार हैं, और पांच फरार चल रहे हैं। सुरक्षा बलों को शनिवार को उस समय बड़ी कामयाबी मिली जब जैश आतंकी शैफुल्ला ऊर्फ लंबू को मार गिराया गया।
शैफुल्ला के खात्मे पर लेफ्टिनेंट जनरल का बड़ा बयान
शैफुल्ला ऊर्फ लंबू के खात्मे पर लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पांडेय कहते हैं कि शैफुल्ला को आईईडी के बारे में लोगों को ट्रेंड करने के साथ आईईडी के जरिए सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की जिम्मेदारी थी। उसके अलाव उसे स्थानीय लोगों को आतंकी तंजीमों में शामिल करने की भी खास जिम्मेदारी थी। लंबू, स्थानीय लोगों का ब्रेनवॉश करने के साथ उन्हें कट्टरपंथ की तरफ ढकेलने का काम करता था।
शैफुल्ला का सफाया दो वजहों से महत्वपूर्ण
डी पी पांडेय कहते हैं कि शैफुल्ला का सफाया दो वजहों से महत्वपूर्ण है, पहला कि 2019 का चैप्टर करीब करीब खत्म हो चुका है। उसने स्थानीय लोकल आदिल को आईईडी के संबंध में ट्रेन किया था जिसने सुरक्षा बलों को विस्फोटक से भरी कार से उड़ा दिया था।
सैफुल्ला ऊर्फ लंबू 2017 में जम्मू-कश्मीर में दाखिल हुआ था और और दक्षिण कश्मीर में सक्रिय था। उसके खिलाफ 14 एफआईआर दर्ज थी। वो पुलवामा आतंकी वारदात का मुख्य अभियुक्त था।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में हर एक आतंकी का खात्मा महत्वपूर्ण ही होता है। लेकिन शैफुल्ला जैसे आतंकियों का जब खात्मा होता है तो उसका संदेश बड़ा होता है। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में पुलवामा की वारदात को अलग तरह से याद किया जाएगा। उस आतंकी वारदात के बाद जिस तरह से भारत ने प्रतिक्रिया दी उसके बाद पूरे विश्व में अलग तरह का संदेश गया। शनिवार को जब सैफुल्ला के खात्मे की जानकारी सामने आई तो एक बात तो साफ हो गई कि उस वारदात के लिए जिम्मेदार चेहरों के खिलाफ सुरक्षा बलों का ऑपरेशन अनवरत जारी रहा है।