- कृषि कानून और किसान आंदोलन पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा
- विपक्षी दलों के हंगामे के बाद कई बार सदन की कार्यवाही को स्थगित करनी पड़ी
- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले- सरकार चर्चा के लिए तैयार
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन पिछले 69 दिन से आंदोलन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ इस विषय पर अब सियासत भी शुरू हो चुकी है। लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे पर जबरदस्त हंगामा हुआ जिसके बाद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। इस विषय पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बड़ा बयान भी दिया।
'समय हो रहा बर्बाद, चर्चा के लिए तैयार'
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए हमेशा तैयार है। सदन के भीतर या बाहर, सरकार किसानों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है। बता दें कि हंगामे की वजह से पहले सदन को शाम 7 बजे तक स्थगित किया गया, उसके बाद सदन को बुधवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले कई वर्षों से कृषि सुधारों के संबंध में सभी पक्षकारों के साथ वार्ता की है और नए कृषि कानूनों से जुड़े मुद्दे के समाधान के लिए सरकार एवं आंदोलनकारी किसान संगठनों के बीच 11 दौर की वार्ता में कानूनों में संशोधन को लेकर सरकार ने एक के बाद एक कई प्रस्ताव रखे हैं।
'तो छोड़ दूंगा राजनीति'
विपक्ष भ्रामक प्रचार फैला रहा है कि नए कृषि क़ानून लागू होते हैं तो किसानों की जमीन चली जाएगी। मैं ईमानदारी से कहता हू कि अगर किसानों की जमीन का एक भी इंच चला गया तो मैं हमेशा के लिए अपना मंत्री पद और राजनीति छोड़ने के लिए तैयार हूं। कैलाश चौधरी ने कहा कि किसान आंदोलन के जरिए कुछ लोग अपनी सियासी जमीन तलाश रहे हैं। जहां तक सरकार का सवाल है हम हमेशा से चाहते हैं कि किसी के दिल में किसी तरह की आशंका है तो उसका हल बातचीत के जरिए ही निकलना चाहिए।