- पहली बार साल 1929 में शारदा एक्ट के जरिए शादी के लिए कानूनी उम्र तय की गई थी।
- साल 1978 में शादी की उम्र पुरूषों के लिए 21 साल और महिलाओं के लिए 18 साल की गई थी।
- नए कानून के बाद हिंदू मैरेज एक्ट, स्पेशल मैरेज एक्ट, बाल विवाह निषेध कानून में भी बदलाव होंगे।
नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने की सिफारिश दी है। सरकार के इस कदम से करीब 43 साल बाद शादी की उम्र में बदलाव होगा। इसके पहले साल 1978 में लड़कियों की शादी की उम्र 15 साल से बढ़ाकर 18 साल की गई थी। और ऐसा पहली बार होगा कि पुरूष और महिला की शादी की न्यूनतम उम्र एक समान हो जाएगी। सरकार ने यह फैसला 2020 में गठित टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर किया है।
अब पुरूष और महिलाओं के लिए एक ही उम्र
- भारत में शुरू से शादी की उम्र में पुरूष और महिला की उम्र का अंतर रहा है। भारत में पहली बार शादी के लिए न्यूनतम उम्र 1929 के शारदा एक्ट के जरिए लागू की गई। जो कि 1930 से पूरे देश में लागू (हैदराबाद और जम्मू एवं कश्मीर) हुआ था। उसमें पुरूषों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 और 14 साल रखी गई थी।
- आजादी के बाद 1949 में पुरूषों के लिए तो उम्र 18 साल रही लेकिन लड़कियों की न्यूनतम उम्र को 14 साल से बढ़ाकर 15 साल कर दिया गया था।
- इसके बाद साल 1978 में पुरूष और महिला दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाकर 21 और 18 साल कर दी गई। और अब महिला की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी है।
उम्र बढ़ाने की क्यों पड़ी जरूरत
असल में सरकार ने 4 जून 2020 को देश में मातृत्व मत्युदर को कम करने और महिलाओं में जरूर पोषण स्तर को बनाए रखने से जुड़े मुद्दों को लेकर टॉस्क फोर्स का गठन किया था। इसका उद्देश्य यह है कि शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाए जाने से कम उम्र में मां बनने की दर में गिरावट आएगी। साथ ही लड़कियों के विकास में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा उनके शिक्षा स्तर में भी सुधार होगा। और उनकी पढ़ाई में बाधा कम पढ़ेगी।
टॉस्क फोर्स ने दिया सुझाव
टॉस्क फोर्स का गठन समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली के अध्यक्षता में किया गया। जिसमें नीति आयोग के सदस्य से विभिन्न विभागों और मंत्रालयों के सदस्य शामिल थे। सू्त्रों के अनुसार टॉस्क फोर्स ने विभिन्न विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं और संबंधित पक्षों से बातचीत के आधार पर न्यूनतम उम्र की सीमा बढ़ाने की सिफारिश की थी।
इन कानूनों में भी होगा बदलाव ?
शादी की नई उम्र को कानूनी जामा पहनाने के बाद हिंदू मैरेज एक्ट और स्पेशल मैरेज एक्ट-1954 में भी बदलाव हो सकता है। क्योंकि अभी हिंदू मैरेज एक्ट-1955 में लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है। इसी तरह स्पेशल मैरेज एक्ट में भी 18 साल का प्रावधान है। इसी तरह बाल विवाह निषेध कानून-2006 में भी 18 वर्ष का प्रावधान है। अब सरकार जब न्यूनतम उम्र की सीमा बढ़ा रही है तो उन कानूनों में बदलाव की संभावना बढ़ गई है। वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार लड़की के तरूण (15 साल ) अवस्था में पहुंचने पर शादी की अनुमति है।