- गुरुग्राम में नमाज के वक्त कुछ शरारती तत्व बाधा डाल रहे हैं।
- पुलिस और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रही।
- मुसलमान लंबे अरसे से प्रशासन की ओर से ही तय किए गए 37 स्थानों पर नमाज पढ़ रहे हैं।
दिल्ली से सटे गुरुग्राम में सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढ़ने पर हो रहे विवाद का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। पूर्व राज्यसभा सदस्य मोहम्मद अदीब ने अवमानना याचिका दाखिल करके कहा है कि हरियाणा पुलिस और प्रशासन दोनों ही शरारती तत्वों पर कार्रवाई करने में नाकाम रही है। पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने याचिका में कहा है कि गुरुग्राम में नमाज के वक्त कुछ शरारती तत्वों द्वारा बाधा डाली जा रही है। भड़काऊ भाषण तक दिया जा रहा है लेकिन तमाम शिकायतों के बावजूद पुलिस और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रही। याचिका के अनुसार ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल और डीजीपी पीके अग्रवाल के खिलाफ अवमानना का मामला बनता है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अवमानना याचिका में लिखा है कि मुसलमान लंबे अरसे से शुक्रवार के दिन प्रशासन की ओर से ही तय किए गए 37 स्थानों पर नमाज पढ़ रहे हैं लेकिन अब कुछ 'शरारती तत्व' इसमें बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के ही 2018 के एक पुराने आदेश का उदाहरण दिया गया है जिसमें सरकारों को भड़काऊ बयानबाजी साम्प्रदायिक उन्माद और तनावपूर्ण माहौल से निबटने के लिए दिशानिर्देश दिए गए थे।
हाल ही में गुरुग्राम में जिन सार्वजनिक स्थानों पर नमाज होती थी वहां पर कुछ हिन्दू संगठनों ने कई बार इकट्ठा होकर बाधा डाली और इसके बाद उन स्थानों पर गोवर्धन पूजा भी की गयी थी। खुले में नमाज का विरोध करने वाले हिन्दू संगठनों का तर्क है कि ऐसे सार्वजनिक स्थानों पर धर्म विशेष का कब्जा हो जाता है। कुछ दिनों पहले हुए हंगामे के बाद पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उसके बावजूद गुरुग्राम पुलिस की कार्रवाई का कोई खास असर इन संगठनों पर नहीं दिखाई दे रहा है।