- पहली ट्रेन दिल्ली के सराय काले खां-गाजियाबाद-मेरठ RRTS कॉरिडोर पर चलाई जाएगी।
- इसे 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने के लिए डिजाइन किया गया है।
- RRTS ट्रेन का 100 प्रतिशत निर्माण भारत में मेक इन इंडिया के तहत किया जा रहा है।
भारत के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर का पहला ट्रेनसेट तैयार है। इसे 7 मई 2022 को भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव की उपस्थिति में आयोजित होने वाले एक समारोह में NCRTC को सौंपी जाएगी। मेक इन इंडिया पहल के तहत, इन अत्याधुनिक RRTS ट्रेन सेट 100 प्रतिशत भारत में सावली, गुजरात में एल्सटॉम के कारखाने में निर्मित किए जा रहे हैं।
RRTS की पहली ट्रेन शनिवार को गुजरात के सावली में एक समारोह में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) को सौंपी जाएगी। NCRTC भारत का पहला RRTS स्थापित कर रहा है जो एक रेल-आधारित, उच्च गति, उच्च आवृत्ति क्षेत्रीय यात्री पारगमन प्रणाली है। पहली ट्रेन सराय काले खां-गाजियाबाद-मेरठ RRTS कॉरिडोर पर चलाई जाएगी।
RRTS ट्रेन का 100 प्रतिशत निर्माण भारत में मेक इन इंडिया पहल के तहत गुजरात के सावली में एल्सटॉम (पूर्व में बॉम्बार्डियर) कारखाने में किया जा रहा है। एल्सटॉम एक फ्रांसीसी बहुराष्ट्रीय कंपनी है जिसने पिछले साल की शुरुआत में बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्टेशन का अधिग्रहण किया था। कनाडाई-जर्मन कंपनी बॉम्बार्डियर ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के लिए मेट्रो कार का निर्माण किया था।
NCRTC द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इसे 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने के लिए डिजाइन किया गया है। ये 160 किलोमीटर प्रति घंटे की परिचालन गति और 100 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत गति के साथ भारत में सबसे तेज ट्रेनें होंगी।
आधुनिक RRTS ट्रेनों में एर्गोनॉमिक रूप से डिजाइन किया गया 2x2 ट्रांसवर्स कुशन सीटिंग, विस्तृत स्टैंडिंग स्पेस, लगेज रैक, CCTV कैमरा, लैपटॉप / मोबाइल चार्जिंग सुविधा, डायनेमिक रूट मैप्स, ऑटो कंट्रोल एम्बिएंट लाइटिंग सिस्टम, हीटिंग वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम और अन्य सुविधाएं होंगी। एसी RRTS ट्रेनों में महिला यात्रियों के लिए आरक्षित एक कोच के साथ मानक के साथ-साथ प्रीमियम क्लास (प्रति ट्रेन एक कोच) होगा।
ट्रेनों के आने के बाद इस साल के अंत तक प्राथमिकता वाले खंड (साहिबाबाद-दुहाई) पर प्रायोगिक आधार पर प्रारंभिक परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है। 17 किलोमीटर के प्राथमिकता वाले खंड को 2023 तक और पूर्ण गलियारे को 2025 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।