- चारा घोटाले से जुड़े पांचवें मामले में लालू यादव को सजा हुई
- लालू प्रसाद को कुल पांच मामलों में अब तक साढ़े बत्तीस साल की सजा सुनाई गई है
- पहले के चार मामलों में उन्हें छह बार जेल पाना पड़ा था
रांची स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने डोरंडा ट्रेजरी से 139.5 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को 5 साल की सजा सुनाई है। उन पर 60 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। यह चारा घोटाले से जुड़ा पांचवां मुकदमा है, जिसमें अदालत ने उन्हें सजा सुनाई है। बहुचर्चित चारा घोटाले के इस पांचवें मामले में रांची के डोरंडा थाने में वर्ष 1996 में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी।
लालू को सजा के बाद बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि यदि लालू प्रसाद को फंसाया गया था, तो 2004 से 2014 तक केंद्र में राज करने वाली कांग्रेस ने लालू प्रसाद को क्लीनचिट क्यों नहीं दिलवाई? लालू प्रसाद को सभी पांच मामलों में सजा और जुर्माना होना अंततः न्याय की जीत है, लेकिन मुझे व्यक्तिगत रूप से दुख है कि राजद प्रमुख को इस उम्र में जेल जाना पड़ा।
उन्होंने आगे कहा कि 1996 के चारा घोटाला मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद पर जब पहला अभियोग पत्र दायर हुआ, तब केंद्र में भाजपा नहीं, कांग्रेस के समर्थन वाली देवगौड़ा सरकार थी। जब लालू प्रसाद को इस मामले में पहली बार सजा हुई, तब भी भाजपा नहीं, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार थी।
लालू यादव को हुई सजा, तेजस्वी बोले- ऐसा लगता है कि देश में चारा घोटाले के अलावा कोई घोटाला नहीं हुआ
मोदी ने आगे कहा कि लालू प्रसाद को चारा घोटाला के पांचवें मामले में भी सजा होना कोई आश्चर्य की बात नहीं, लेकिन आश्चर्य यह है कि शिवानंद तिवारी, वृषिण पटेल, प्रेमचंद मिश्रा जैसे जिन लोगों ने चारा घोटाला में मुकदमा दायर किया था, वे बाद में पलटी मार कर लालू प्रसाद से मिल गए और भ्रष्टाचार का राजनीतिक बचाव करने वाले कुतर्क देने लगे। इन पाला-बदल लोगों और राजद ने भाजपा पर बार-बार लालू प्रसाद को फंसाने के अनर्गल आरोप लगाए। इन लोगों को न्यायपालिका पर केवल तभी भरोसा हुआ, जब लालू प्रसाद को जमानत मिली।