- जम्मू-कश्मरी के दो दिन के दौरे पर है विदेशी शिष्टमंडल, शामिल हैं 15 सदस्य
- आज कश्मीरी पंडितों से मिला, गुरुवार को स्थानीय नेताओं से की मुलाकात
- अनुच्छेद 370 हटने के बाद किसी विदेशी शिष्टमंडल की पहली आधिकारिक यात्रा
जम्मू : जम्मू-कश्मीर के दो दिनों के दौरे पर पहुंचे 15 विदेशी राजनयिकों के शिष्टमंडल ने शुक्रवार को जम्मू शहर के बाहर कश्मीरी पंडितों के एक शिष्टमंडल से मुलाकात की। इसके पहले दिन में शिष्टमंडल ने सिविल सोसायटी के नुमाइंदों एवं सामुदायिक नेताओं से मुलाकात की। गुरुवार को यह विदेशी शिष्टमंडल श्रीनगर में सेना के अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से मुलाकात कर जमीनी हालात का जायजा लिया।
विदेशी शिष्टमंडल ने जम्मू-कश्मीर का दौरा कर सुरक्षा स्थितियों एवं आम नागरिकों से बातचीत की है और वहां के जमीनी हालात की जानकारी जुटाई है। इस विदेशी शिष्टमंडल में अमेरिका, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, मालदीव, मोरक्को, फिजी, नार्वे, फिलिपींस, पेरू, नाइजर, नाइजीरिया, टोगो और गुयाना के राजनयिक शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद किसी विदेशी शिष्टमंडल की यह दूसरी यात्रा है। इसके पहले 23 यूरोपीय सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल घाटी का दौरा कर चुका है। हालांकि, यह दौरा आधिकारिक नहीं था और सरकार ने इसे प्रायोजित नहीं किया था।
शिष्टमंडल से जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नागरिकों ने बात की है। सूत्रों के मुताबिक घाटी के नागरिकों ने उन्हें बताया कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद स्थितियां शांतिपूर्ण हुई हैं और जनजीवन सामान्य हुआ है। लोग बदलाव महसूस कर रहे हैं। स्थानीय नागरिकों के अलावा शिष्टमंडल से कांग्रेस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के कई नेताओं ने विदेशी राजनयिकों से मुलाकात की।
हालांकि विदेशी शिष्टमंडल से अपने नेताओं की बात कांग्रेस और पीडीपी को नागवार गुजरी। दोनों पार्टियों ने शिष्टमंडल से मुलाकात करने वाले अपने नेताओं को पार्टी से निकाल दिया। कांग्रेस और पीडीपी ने अपने कदम को उचित ठहराते हुए कहा कि नेताओं की ये गतिविधियां उनके रुख के खिलाफ हैं। जबकि पीडीपी नेता मुजफ्फर बेग ने कहा कि महबूबा मुफ्ती के बड़बोलेपन के चलते जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा घटकर केंद्र शासित प्रदेश का हो गया। बेग ने कहा कि महबूबा को अनुच्छेद 370 पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए थी।