- काशी-मथुरा पर लड़ाई और संघर्ष की कोई बात नहीं है
- ओवैसी साहब को भी कहूंगी कि पहले आप कयामत की मियाद तो तय कर लीजिए
- देश का बलिदान नहीं होता एक्ट के लिए, एक्ट का बलिदान होता है देश के लिए
Uma Bharti Interview: पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर-इन-चीफ नाविका कुमार के साथ फ्रेंकली स्पीकिंग पर खास बातचीत की है। ज्ञानवापी मसले पर उमा भारती ने कहा कि वाराणसी में आस्था का टकराव नहीं है। काशी-मथुरा पर लड़ाई और संघर्ष की कोई बात नहीं है। वाराणसी में तो सर्वे की भी जरूरत नहीं थी, दीवारों पर प्रमाण मौजूद हैं। मुसलमानों के लिए जैसा महत्व मक्का-मदीना का है वैसा ही हमारे लिए महत्व काशी विश्वनाथ का है। ये उनकी आस्था का केंद्र नहीं है, ये हमारी आस्था का केंद्र है। उन्होंने कहा कि वर्शिप एक्ट इस मसले में बाधा नहीं बनेगा। पहले सर्वे की रिपोर्ट आने दीजिए।
उमा भारती ने कहा कि अयोध्या में सर्वे की जरूरत इसलिए थी, क्योंकि जो प्रमाण थे वो नीचे जमीन में थे, इसलिए खुदाई करनी पड़ी। खुदाई भी इसलिए हुई क्योंकि 6 दिसंबर को ढांचा गिर गया था। वाराणसी में सर्वे की जरूरत नहीं है, यहां तो दीवारों पर प्रमाण मौजूद हैं। यहां तो कोर्ट के बाहर समझौता हो सकता है।
जब अखिलेश यादव के बयान पर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये बहुत हल्कापन है। मैंने पहले कहा है कि जो राम का विरोध करेगा उसके कुल में कोई रोने वाला नहीं बचेगा। अखिलेश ने ऐसी ही बातें कर अपनी पार्टी का ये हाल कर लिया है।