वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि अतीत में नष्ट किए गए सभी मंदिरों का पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए। वहीं राज्य में भाजपा सरकार ने पुर्तगाली शासन के दौरान ध्वस्त मंदिरों को बहाल करने के लिए बजट आवंटित किया है। सावंत ने यह भी कहा कि गोवा सरकार राज्य में 'सांस्कृतिक पर्यटन' को बढ़ावा देने के प्रयास कर रही है और लोगों को तटीय राज्य के मंदिरों में जाने के लिए प्रेरित कर रही है।
आरएसएस के साप्ताहिक ऑर्गेनाइजर और पांचजन्य के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक मीडिया सम्मेलन में भाग लेते हुए सावंत ने कहा कि पुर्तगाली शासन के 450 वर्षों में हिंदू संस्कृति का विनाश हुआ और कई लोगों का धर्मांतरण हुआ। राज्य के मंदिरों को नष्ट कर दिया गया। हम इन सबका कायाकल्प करने जा रहे हैं। मेरा मानना है कि जहां भी मंदिर नष्ट हालत में हैं, उनका पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए। यह मेरा दृढ़ मत है।
ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर के एक सवाल के जवाब में सावंत ने कहा कि उनकी सरकार गोवा में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त काम कर रही है, जो पर्यटकों के लिए सबसे अधिक मांग वाले स्थलों में से एक है। हर गांव में एक दो मंदिर होते हैं। हमें लोगों को समुद्र तट से मंदिर तक ले जाना है। उनकी सरकार सांस्कृतिक पर्यटन पर जोर दे रही है।
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जैसा कि कई भाजपा शासित राज्य समान नागरिक संहिता (UCC) की ओर झुक रहे हैं तो सावंत ने कहा कि गोवा में पहले से ही यह कोड है और हर राज्य में यह होना चाहिए। मैं गर्व से कहता हूं कि गोवा आजादी के बाद से समान नागरिक संहिता का पालन कर रहा है। मेरा मानना है कि अन्य सभी राज्यों को यूसीसी का पालन करना चाहिए। हमने अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ भी गोवा यूसीसी पर चर्चा की है। सावंत ने गोवा की मुक्ति में देरी के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया और कहा कि भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ जबकि राज्य ने 1961 में मुक्ति हासिल की। गोवा में खनन के बारे में पूछे जाने पर सावंत ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में खनन को फिर से शुरू करने पर काम कर रही है, जो 2012 से प्रतिबंधित है।