- लद्दाख के गलवान घाटी में 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत ने दी है कड़ी प्रतिक्रिया
- एलएसी के समीप सेना एवं वायु सेना के सभी अग्रिम मोर्चों को अलर्ट पर रखा गया है
- हिंद महासागर में नौसेना ने अपनी संख्या में इजाफा करना शुरू कर दिया है
नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के साथ खूनी संघर्ष की घटना के बाद सीमा की सुरक्षा में तैनात भारतीय सेना चौकस हो गई है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा है कि इस भीषण टकराव के बाद चीन के साथ लगने वाली करीब 3500 किलोमीटर लंबी सीमा पर सेना और वायु सेना के अग्रिम ठिकानों पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। गलवान घाटी में सोमवार रात चीन के सैनिकों के साथ हुए खूनी संघर्ष में सेना के 20 जवान शहीद हो गए। इस झड़प में घायल चार जवानों की हालत स्थिर बताई जा रही है।
हिंद महासागर में नौसेना हुई सक्रिय
हिंद महासागर में भी नौसेना को भी अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। हिंद महासागर में चीन एंटी-पाइरेसी के बहाने अपने युद्धपोत एवं फ्रिगेट भेजता रहता है। सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफा जनरल बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों के साथ हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद तीनों सेनाओं के लिए अलर्ट जारी करने पर फैसला हुआ। गत पांच मई से लद्दाख में गतिरोध बनने के बाद चीन से लगती सीमा पर सेना पहले सतर्क है लेकिन इस ताजा विवाद के बाद सेना ने अग्रिम मोर्चों पर अपनी तादाद बढ़ा दी है। अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और लद्दाख सभी चार सेक्टरों में सेना ने अपनी मोर्चाबंदी बढ़ा दी है।
एलएसी की निगरानी करने वाली वायु सेना अलर्ट पर
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की निगरानी करने वाली वायु सेना ने भी सीमा से सटे अपने ठिकानों को अलर्ट मोड पर रखा है। सूत्रों का कहना है कि चीन को कड़ा संदेश देने के लिए नौसेना ने हिंद महासागर में अपने युद्धपोतों एवं विध्वसंकों की संख्या बढ़ा रही है। सीमा पर चीन की इस हरकत के बाद देश भर में गुस्सा का माहौल है। देश भर में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं और राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला फूंका गया है। देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग भी जोर पकड़ रही है। लोगों का कहना है कि चीन को सबक सिखाने के लिए सरकार को उसके साथ व्यापार बंद कर देना चाहिए।
पीएम ने कहा है-व्यर्थ नहीं जाएगा बलिदान
लद्दाख की इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्रालय और सेना की तरफ से कड़ा बयान दिया गया। पीएम ने चीन का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका इशारा साफ था। उन्होंने कहा कि भारत शांति का पक्षधर है। भारत शांति चाहता है लेकिन उकसाये जाने पर मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। हम सीमा पर हमारे सैनिकों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देंगे। बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर की अपने चीनी समकक्ष वांग यी से फोन पर बातचती हुई। विदेश मंत्रालय के मुताबिक जयशंकर ने अपने चीन के विदेश मंत्री से कहा कि गलवान घाटी में जो कुछ भी हुआ वह चीन की सोची समझी चाल है।