गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम लिमिटेड की मुंडेरवा और पिपराइच चीनी मिलों में सल्फरलेस शुगर प्लांट का उद्घाटन किया है। ये दोनों मिलें सल्फर रहित चीना का उत्पादन करेंगी और अन्य जगहों पर निर्यात करेंगी। पिपराइच व मुंडेरवा की मिलें प्रदेश में पहली होंगी जहां सल्फरलेस, रिफाइंड चीनी का उत्पादन होगा। यह रिफाइंड चीनी दुनिया के बड़े बड़े होटलों, चिकित्सालयों व अन्य संस्थानों में पहुंचेगी। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की इससे नई पहचान बनेगी।
सल्फर रहित चीनी का प्रदेश में उत्पादन होगा तो लोग आसानी से इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि सल्फर रहित चीनी सामान्य चीनी से किस प्रकार अलग होती है। पिपराइच चीनी मिल को संचालित कर रही इसजेक कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर कृष्ण राय कुमार के अनुसार, सामान्य चीनी बनाने के लिए जो तकनीक इस्तेमाल होती है उसमें गन्ने के रस को साफ करने के लिए चूने के साथ सल्फर डाई आक्साइड का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस वजह से सामान्य चीनी में सल्फर डाई आक्साइड का अंश भी आ जाता है। यह लीवर और स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक होता है। सामान्य चीनी में कैलोरी की मात्रा अधिक और आयरन कम होता है।
सामान्य चीनी को महीने बनाने के लिए सल्फर इस्तेमाल होता है जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। वहीं सल्फर रहित चीनी के उत्पादन में चूने के साथ सल्फर डाई आक्साइड का इस्तेमाल नहीं होगा। इसमें सल्फोरिक एसिड या कार्बन डाई आक्साइड का प्रयोग किया जाएगा। इससे चीनी में कैलोरी की मात्रा कम रहेगी और 20 से 30 फीसदी का उत्पादन खर्च भी कम आएगा। विदेशों में सल्फर युक्त चीनी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। सल्फर फ्री चीनी को ब्राउन शुगर से भी बेहतर कहा जाता है।
गन्ने का जूस भी पैकेट में बिकेगा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मौके पर कहा कि मिलें चीनी उत्पादन तक सीमित न रहें, गन्ना जूस पैकिंग जैसे विकल्प पर भी ध्यान दें। उन्होंने कहा कि मिलों के जरिये चीनी उत्पादन तक सीमित रहने की बजाय गन्ना जूस पैकिंग व अच्छी गुणवत्ता के गुड़ के उत्पादन का विकल्प भी अपनाया जा सकता है। कहा कि जॉन्डिस में गन्ने के जूस की बहुत मांग रहती है। गन्ने के जूस की पैकिंग पर नई तकनीक पर ध्यान दिया जाए तो बहुत से युवाओं को रोजगार मिल सकता है।