- कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 16वें दिन जारी है, सरकार ने फिर वार्ता की पेशकश
- कृषि मंत्री बोले- आंदोलन खत्म कर बातचीत का रास्ता अपनाएं किसान
- हमने किसानों के हितों को ध्यान में रखकर बनाए हैं कानून- तोमर
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों से सरकार ने एक बार फिर गतिरोध को खत्म करने की अपील की है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, 'किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ छह दौर की बातचीत हुई। सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में ये संभव नहीं हो सका।'
कृषि मंत्री ने कहा, 'सरकार द्वारा बनाए गए कानून बहुत विचार-विमर्श के बाद बनाए गए हैं - किसानों के जीवन में बदलाव लाने के लिए, उनके साथ होने वाले अन्याय को दूर करने के लिए। यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि किसान बेहतर जीवन जी सकें और लाभकारी कृषि में लिप्त हो सकें।'
फिर की बातचीत की पेशकश
कृषि मंत्री ने किसानों के समक्ष फिर बातचीत की पेशकश करते हुए कहा, 'प्रस्ताव उनके(किसानों) पास है, उन लोगों की टिप्पणी हमारे पास नहीं आई। मीडिया के माध्यम से पता चलता है कि उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अभी उनकी तरफ से बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं आया है, जैसे ही प्रस्ताव आएगा हम बातचीत के लिए तैयार हैं। मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें गतिरोध तोड़ना चाहिए। सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव दिया है, सरकार ने उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है।'
आंदोलन समाप्त कर वार्ता का रास्ता अपनाएं
कृषि मंत्री ने किसानों से आग्रह करते हुए कहा, 'किसी भी कानून में प्रावधान पर आपत्ति होती है, प्रावधान पर ही चर्चा होती है। प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों का निराकरण करने की कोशिश की है। उन्हें आंदोलन समाप्त करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए। भारत सरकार ने कानून बहुत सोच-समझकर बनाए हैं, किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए बनाए हैं। सरकार बात करके उसमें(कानून) सुधार करने के लिए तैयार है।'
कोरोना संकट के बीच किसान बड़े खतरे में हैं
कोरोना संकट का हवाला देते हुए कृषि मंत्री ने कहा, 'सर्दी का मौसम है और कोरोना का संकट है, किसान बड़े खतरे में पड़े हुए हैं। आंदोलन से जनता को भी परेशानी होती है, दिल्ली की जनता परेशान हो रही है। इसलिए जनता के हित में, किसानों के हित में उनको(किसानों) अपने आंदोलन को समाप्त करना चाहिए।'