- नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी
- दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को 29 दिन हो गए हैं
- सरकार और किसानों के बीच 5 दिसंबर को आखिरी बातचीत हुई थी
नई दिल्ली: सरकार ने एक बार फिर आंदोलनकारी किसानों को पत्र लिखा है और उनसे बातचीत के लिए तारीख और समय तय करने को कहा है। पत्र में लिखा है कि भारत सरकार पुन: अपनी प्रतिबद्धता दोहराना चाहती है कि वह आंदोलनकारी किसानों संगठनों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों का तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए तत्पर है। पत्र में लिखा है कि सरकार साफ नियत तथा खुले मन से आंदोलन को समाप्त करने एवं मुद्दों पर वार्ता करती रही है एवं आगे भी तैयार है, आप कृपया अपनी सुविधा अनुसार तिथि एव समय बताएं।
पत्र में लिखा है साथ ही जिन अन्य मुद्दों पर वार्ता करना चाहते है, उन मुद्दों का विवरण दें। यह वार्ता आपके द्वारा सुझाई गई तिथि एवं समय को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में मंत्री स्तरीय समिति के साथ आयोजित की जाएगी।
किसान आंदोलन 29 दिन हो गए हैं। नए कृषि कानून के मसले पर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध बना हुआ है। हालांकि दोनों पक्षों की तरफ से लगातार कहा जा रहा है कि किसानों की समस्याओं का समाधान करने की दिशा में वे बातचीत के लिए तैयार हैं, मगर अगले दौर की वार्ता किन मसलों पर होगी, यह साफ नहीं है। किसान संगठन कहते हैं कि सरकार कोई ठोस प्रस्ताव दे तो वार्ता हो। जबकि सरकार कहती है कि किसान संगठन कानून में संशोधन के जो भी प्रस्ताव लेकर आएंगे उस पर विचार किया जाएगा। मगर, प्रदर्शनकारी किसान तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की मांग पर कायम हैं जबकि सरकार उनकी इस मांग को मानने को तैयार नहीं है।
5 दौर की बातचीत हो चुकी हैं
कृषि कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव को खारिज कर चुके किसान नेताओं ने कहा कि उन्हें केंद्र के खुले दिल से वार्ता के लिये आगे आने का इंतजार है और अगर सरकार एक कदम आगे बढ़ाएगी तो किसान दो कदम बढ़ेंगे। किसानों और सरकार के बीच अब तक 5 दौर की बातचीत हो चुकी है। केंद्र के साथ 9 दिसंबर को प्रस्तावित किसानों की छठे दौर की वार्ता किसानों के केंद्रीय कानूनों को निरस्त करने की मांग से पीछे नहीं हटने के कारण रद्द हो गई थी।