गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को 'पुलिस अधिकारियों पर हमला' करने के मामले में असम के बारपेटा जिले की एक स्थानीय अदालत ने पांच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी है। इससे पहले सोमवार को बारपेटा पुलिस ने ट्वीट से जुड़े मामले में जमानत मिलने के ठीक बाद एक अन्य मामले में जिग्नेश मेवाणी को फिर से गिरफ्तार कर लिया था।
पुलिस ने कहा कि संबंधित अधिकारी ने मेवानी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और उसके बाद उनके खिलाफ लोक सेवक को कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने, जानबूझकर चोट पहुंचाने आदि के आरोप में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। बारपेटा रोड थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार कथित घटना उस समय हुई जब महिला अधिकारी 21 अप्रैल को एक सरकारी वाहन में दलित नेता को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरजीत सिंह पनेसर और एक अन्य अधिकारी के साथ गुवाहाटी हवाई अड्डे से कोकराझार ले जा रही थीं।
महिला सब-इंस्पेक्टर ने शिकायत में कहा कि जब मैंने उसे संभलकर बोलने के लिए कहा तो वह उत्तेजित हो गया और, फिर अपशब्दों का इस्तेमाल किया। उसने मेरी ओर उंगली उठाई और मुझे डराने की कोशिश की और मुझे बलपूर्वक अपनी सीट पर धकेल दिया। इस प्रकार उसने मेरे कानूनी कर्तव्य निभाने के दौरान मुझ पर हमला किया। धक्का देते समय मुझे अनुचित तरीके से छूकर मेरी शील भंग कर दी। कोकराझार पहुंचने के बाद मैंने तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की सूचना दी।
असम: गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को मिली जमानत, बाद में फिर किया गिरफ्तार, ये है वजह
कोकराझार प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट भावना काकोटी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ उनके ट्वीट से संबंधित मामले में दो जमानतों के साथ 30,000 रुपए के मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी थी। गुजरात के विधायक के खिलाफ कोकराझार में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उन्हें 19 अप्रैल को गुजरात के पालनपुर शहर से गिरफ्तार किया गया था।