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हरीश रावत ने कांग्रेस को फिर चेताया, बोले- '.... तो भाजपा पड़ सकती है भारी', समझिए बयान के मायने

Updated Jan 17, 2021 | 14:27 IST

उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां तेज हो गई हैं। इस बीच कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लगातार पार्टी से चेहरा घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

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फिर बोले रावत- कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया तो भारी पड़ेगी BJP
मुख्य बातें
  • उत्तराखंड में अगले साल होने हैं विधानसभा के चुनाव
  • विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व सीएम हरीश रावत कर रहे हैं पार्टी से चेहरा घोषित करने की मांग
  • रावत बोले- कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया तो बीजेपी भारी पड़ सकती है

देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। दरअसल अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में जोर-आजमाइश शुरू हो गई है।राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव हरीश रावत ने पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की जरूरत पर जोर दिया है। इतना ही नहीं इसके लिए उन्होंने खुद की दावेदारी भी पेश की है। रावत ने कहा कि अगर पार्टी उन्हें यह जिम्मेदारी देती है तो इसे पूरी तरह निभाएंगे। इसके साथ ही रावत ने यह भी कहा कि यदि किसी दूसरे का चयन करती है तो भी वह उसका पूरा सहयोग करेंगे।

गुटबाजी हावी

दरअसल उत्तराखंड में भी कांग्रेस की गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। पिछले दिनों ही कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने दावा किया था कि आने वाले समय में बीजेपी के कई विधायक कांग्रेस में शामिल होना चाहते हैं। इतना ही नहीं इंदिरा ह्रदेश ने दावा किया था कि हाईकमान का इशारा मिलते ही इन बीजेपी विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर लिया जा सकता है। हरीश रावत ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया तो भाजपा अपने संगठन और धनबल की बदौलत आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पर भारी पड़ सकती है।

फेसबुक पोस्ट पर इंदिरा ह्रदयेश का जवाब

इससे पहले रावत ने अपनी फेसबुक पोस्ट के जरिए भी पार्टी से चेहरा घोषित करने की मांग की थी जिसके बाद से से वह प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के निशाने पर आ गए थे। आपको बता दें कि उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी कोई नई बात नहीं है, गुटबाजी के कारण ही 2016 में कांग्रेस में बड़ी टूट हुई थी। रावत के सीएम का चेहरा घोषित करने की मांग पर उनकी ही पार्टी की वरिष्ठ नेता इंदिरा ह्रदयेश ने दो टूक कहा था, '2017 में हरीश रावत को चेहरा बनाकर पार्टी 11 विधायकों पर सिमट गई थी, इसलिए चेहरे पर रिस्क नहीं ले सकते। इससे पहले भी पार्टी ने चुनाव लड़े हैं लेकिन कभी चेहरा घोषित नहीं किया।' सो इससे साफ समझा जा सकता है कि पार्टी में गुटबाजी किस कदर हावी है।

कई नेता और भी दावेदार

रावत ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि पार्टी के सामने चुनाव में कोई असमंजस नहीं होना चाहिए और जनता के सामने यह स्पष्ट होना चाहिए कि कौन चेहरा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए यह जरूरी है क्योंकि भाजपा हर चुनाव को ‘मोदी बनाम कांग्रेस के स्थानीय नेता’ बना देती है। हरीश रावत से जब अपने अलावा अन्य नामों के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा, ‘प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष (प्रीतम सिंह) का स्वाभाविक नाम है, विधायक की दल की नेता (इंदिरा हृदयेश) का स्वाभाविक नाम है। कई दूसरे नेता भी हैं। पार्टी इनमें से किसी को भी घोषित करती है तो मैं उसका पूरा सहयोग करूंगा।’

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