- हाथरस केस में पुलिस की कमी सामने आई थी
- काफी हो-हल्ला के बाद सीबीआई को सौपा गया था मामला
- पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान की गई है
नई दिल्ली: हाथरस गैंगरपे और हत्या मामले के चार आरोपी जो कि अलीगढ़ जेल में बंद हैं, उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अधिकारियों की एक टीम द्वारा पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग टेस्ट के लिए गुजरात के गांधीनगर ले जाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
पिछले महीने सीबीआई ने 19 साल की दलित लड़की के साथ कथित गैंगरेप और बाद में दिल्ली के अस्पताल में हुई उसकी मौत की जांच का जिम्मा संभाला था। उत्तर प्रदेश के हाथरस के बुलगढ़ी गांव की लड़की की मृत्यु 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हुई थी।
मामले के चारों आरोपियों को पीड़िता की मौत से पहले गिरफ्तार कर लिया था। 14 सितंबर को युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था।
पीड़ित परिवार सुरक्षित नहीं: पीयूसीएल
वहीं दूसरी तरफ पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने शनिवार को अपनी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की तैनाती से पीड़ित परिवार को फौरी राहत जरूर है, लेकिन वे सुरक्षित नहीं हैं। पीयूसीएल ने कहा, 'केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की तैनाती से पीड़ित परिवार को फौरी राहत जरूर है लेकिन वे सुरक्षित नहीं हैं। परिवार आतंकित है कि बल के नहीं रहने पर क्या होगा, इसलिए परिवार की सुरक्षा के अलावा निर्भया फंड से उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।' पीयूसीएल के सदस्यों ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो इलाहाबाद उच्च न्यायालय की देख-रेख में हाथरस की घटना की स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जांच कर रहा है लेकिन सीबीआई जांच के बावजूद पीड़ित पक्ष आश्वस्त नहीं है। सुरक्षा का खतरा बना हुआ है क्योंकि सीआरपीएफ के जाने के बाद परिवार के सदस्यों की जान सुरक्षित नहीं रहेगी।