- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को कहा कि जिला स्तर पर बनाएं नियंत्रण कक्ष
- नियंत्रण कक्ष के पास होना चाहिए रियल टाइम डेटा
- इससे पहले भी राज्यों को कई नए दिशा निर्देश जारी कर चुका है स्वास्थ्य मंत्रालय
नई दिल्ली: देश में कोरोना के मामलों ने रफ्तार पकड़ ली है और तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है। इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को होम आइसोलेशन पर नए दिशानिर्देश दिए हैं कहा है कि राज्य यह सुनिश्चित करें कि वह जिला एवं उप-जिला स्तरीय नियंत्रण कक्षों की स्थापना करें। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देश एस प्रकार हैं-
- नियंत्रण कक्ष यानि कंट्रोल रूम में अन्य संबंधित कर्मचारियों के साथ-साथ चिकित्सा डॉक्टर, परामर्शदाता और स्वयंसेवकों के साथ पर्याप्त रूप से कर्मचारी होंगे, और निर्दिष्ट आबादी को पूरा करने के लिए पर्याप्त फोन लाइनों से लैस होंगे।
- कंप्यूटर और ब्रॉडबैंड के संदर्भ में सक्षम बुनियादी ढाँचा नियंत्रण कक्षों को निर्बाध कनेक्टिविटी के लिए प्रदान की जानी चाहिए।
- केस लोड के आधार पर, नियंत्रण कक्ष चौबीसों घंटे काम करते रहेंगे ताकि रोगियों को वैध मार्गदर्शन/सहायता प्रदान की जा सके।
- नियंत्रण कक्षों के पास कोविड परीक्षण केंद्रों, एम्बुलेंसों की उपलब्धता पर रीयल-टाइम डेटा होना चाहिए और इन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए कॉल करने वाले का मार्गदर्शन करने में सक्षम होना चाहिए।
- नियंत्रण कक्षों को निर्दिष्ट स्वास्थ्य सुविधाओं में विभिन्न प्रकार के बेड्स की उपलब्धता की निगरानी भी करनी चाहिए। नियंत्रण कक्षों द्वारा बिस्तरों के आवंटन के लिए स्पष्ट और पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- प्रत्येक नियंत्रण कक्ष को समर्पित एम्बुलेंस आवश्यकता के अनुसार रोगियों के परिवहन के लिए एरिया केस लोड के आधार पर आवंटित की जाएगी।
- नियंत्रण केंद्रों के पास होम आइसोलेशन के तहत मरीजों को उनकी स्थिति की नियमित निगरानी के लिए आउटबाउंड कॉल करने की भी जिम्मेदारी होगी।
- नियंत्रण कक्षों की मुख्य जिम्मेदारियों में से एक यह भी होगा कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में होम आइसोलेशन के तहत सभी रोगियों की दैनिक स्थिति रिपोर्ट का मिलान करें और उसे जिला प्रशासन को प्रस्तुत करें।
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि गृह पृथक-वास के तहत कोविड-19 रोगियों को संक्रमित होने के कम से कम सात दिनों के बाद पृथक-वास से छुट्टी दे दी जाएगी, अगर उन्हें लगातार तीन दिनों तक बुखार नहीं आता हो। मंत्रालय ने हल्के या बिना लक्षण वाले मामलों में गृह पृथक-वास के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं।
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