- क्या होना था..चन्नी सरकार को सब पता था ?
- प्रधानमंत्री के साथ बहुत बड़ी 'साजिश' थी ?
- पंजाब में चुनावी लड़ाई, काफिला रोकने तक आई ?
Rashtravad : आज राष्ट्रवाद में बात होगी पीएम मोदी के पंजाब दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा में सेंध को लेकर, कल पंजाब में पीएम मोदी की सुरक्षा को लेकर जो चूक हुई उसे पूरे देश ने देखा लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या पीएम मोदी की सुरक्षा में सेंध साजिश थी या इस पर सियासत की गई।
क्या पंजाब चुनाव की लड़ाई पीएम मोदी के काफिले को रोकने तक आ गई है। इन सवालों का जवाब भी आज तलाशने की कोशिश करेंगे लेकिन इस मामले में अब जो खुलासे सामने आ रहे हैं वो बड़े चौकाने वाले हैं। आज पंजाब पुलिस का एक नहीं बल्कि तीन तीन लेटर सामने आए हैं। 2 जनवरी, 3 जनवरी और 4 जनवरी की ये चिट्टी सामने आई है। जिसमें PM की सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी हुआ था। अलर्ट में रोड ब्लॉक की जानकारी दी गई। कहा गया था कि धरना-प्रदर्शन हो सकता है। धरना-प्रदर्शन और रोड ब्लॉक की वजह से रूट में बदलाव के लिए तैयार रहने को कहा गया था। SSP को खुद निगरानी के लिए कहा गया था।
पीएम मोदी की सुरक्षा में कैसे सेंध लगी या फिर सियासत हुई इसके लिए आपको दिखाते है पहले कई सबूत जो ये बताने के लिए काफी हैं कि पीएम मोदी की सुरक्षा में सेंध जानबूझकर की गई।
- सबूत नंबर 1 : पंजाब के एआईजी लॉ एंड ऑर्डर का 2 जनवरी को लिखा हुआ खत, जिसमें साफ साफ लिखा है कि पीएम के पांच जनवरी के दौरान प्रदर्शन हो सकता है। इतना ही नहीं इसमें साफ लिखा है कि मौसम भी खराब हो सकता है तो फिर क्यों इसके लिए पंजाब सरकार और पुलिस ने तैयारी क्यों नहीं की।
- सबूत नंबर 2 : एआईजी लॉ एंड ऑर्डर की 3 जनवरी की ये चिट्ठी है। जिसमें साफ-साफ लिखा है कि प्रदर्शनकारी रैली को ब्लॉक कर सकते हैं। इसकी जानकारी 2 जनवरी को ही दे दी गई थी। आदेश दिया गया था कि रूट को साफ किया जाए और प्रदर्शनकारियों पर काबू करने के उचित उपाय किए जाए।
- सबूत नंबर 3 : सबूत नंबर तीन एआईजी की ये 4 जनवरी की चिट्टी है जिसमें साफ लिखा है कि रोड ब्ल़ॉक होगा। वैकल्पित रूट की व्यवस्था की जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
- सबूत नंबर 4 : किसान नेता ने कहा एसएसपी ने दी रूट की जानकारी। टाइम्स नाउ नवभारत से किसान नेता सुरजीत सिंह फूल ने कहा कि पुलिस ने ही सीक्रेट रूट की जानकारी दी। प्रोटोकाल के मुताबिक रूट की जानकारी नहीं दी जाती है लेकिन पंजाब पुलिस ने क्यों किसानों को इस बात की जानकारी दी। जबकि एसएसपी कह रहे है कि ये गलत है लेकिन सच क्या है पहले सुनिए सुरजीत सिंह फूल ने क्या कहा। हमें पता ऐसे चला कि हां भाई, पुलिसवाले ने कहा कि हमारी आपसे विनती है कि पहले आपने बसे रोकीं, आपने प्रोटेस्ट भी कर लिया। अब आपसे विनती है कि आप सड़क खाली कर दें। हमने कहा कि अब क्यों खाली कर दें। उन्होंने कहा कि क्योंकि प्रधानमंत्री आ रहे हैं। हमारे पास वीडियो है उसमें मैं दिखा दूंगा कि बलदेव सिंह हंस रहे हैं। कह रहे हैं कि SSP साहब ये क्या बच्चों वाली बातें कर रहे हैं। SSP का नाम नहीं जानता मैं पर वो SSP फिरोजपुर थे।
- सबूत नंबर 5 : अब जरा इन तस्वीरों को देखिए ये तस्वीरें बयां कर रही है कि पंजाब पुलिस और प्रदर्शनकारियों में फिक्सिंग का खेल चल रहा था ...जिन पुलिसकर्मियों पर सुरक्षा की जिम्मेदारी थी वो प्रदर्शनकारियों को सड़क से हटाने की बजाय उनके साथ चाय पीने में लगे हुए थे ....
- सबूत नंबर 6 : काफिले में चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी की गाड़ी लेकिन अधिकारी नहीं ? पीएम मोदी के काफिले में पंजाब के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी की गाड़ी थी लेकिन गाड़ी में ना डीजीपी थे ना चीफ सेक्रेटरी। आखिरी इतनी बड़ी चूक कैसे? डीजीपी के उपर सुरक्षा की जिम्मेदारी लेकिन वो वहां से नदारद थे। खुद आज कांग्रेस के विधायक परमिंदर सिंह ने डीजीपी पर ही सवाल उठाए हैं।
- सबूत नंबर 7 : सीएम चन्नी ने कहा सड़क से जाने की जानकारी किसी को नहीं तो फिर उस रास्ते पर ट्रक भरकर प्रदर्शनकारी कैसे आ गए। सुनिए पहले चन्नी साहब ने कल क्या कहा था। पीएम का रूट तय नहीं था फिर भी रास्ता ब्लॉक क्यों ? CM चन्नी कल कहा कि पीएम को तो हेलीकॉप्टर से जाना था, उस रास्ते से नहीं जाना था..। अगर ऐसा था तो उस रास्ते पर ट्रक-बस के साथ प्रदर्शकारी कैसे थे?
- सबूत नंबर 8 : फ्लाईओवर पर जहां पीएम मोदी का काफिला रूका था वहां पर अफरातफरी का माहौल था। कल हमने आपको चश्मदीद का बयान सुनाया था जो साफ कह रहा था कि मौके पर कैसे अफरातफरी थी अगर पता नहीं था तो अफरातफरी का मंजर कैसे?
कुल मिलाकर आपने इतने सारे सबूत। इससे ये साफ होता है कि पीएम को रोकने की कोशिश की गई, ऐसे में सवाल है:-
सुरक्षा तंत्र फेल या बहुत बड़ा खेल ?
क्या होना था..चन्नी सरकार को सब पता था ?
पंजाब में चुनावी लड़ाई, काफिला रोकने तक आई ?
3 चिट्ठी ने पंजाब सरकार का काला चिट्ठा खोल दिया ?
सीक्रेट रूट लीक, साजिश या सियासत ?