नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की सुप्रीम कोर्ट बैंच ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को चुनौती देने और समर्थन करने वाली 144 याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र को सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया। अब 5 हफ्ते बाद फिर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने 18 दिसंबर को केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश समेत कई संगठनों द्वारा दायर विभिन्न अर्जी पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले के प्रक्रियात्मक मुद्दे पर चैंबर में सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि एनपीआर पर हम एकतरफा आदेश नहीं देंगे। पांच जजों की बैंच सुनवाई करेगी और अंतरिम आदेश देगी। असम, त्रिपुरा की याचिकओं पर एक साथ सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीएए का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने संबंधी आदेश चार हफ्ते बाद ही जारी किया जाएगा। कोर्ट सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन करेगा। कोर्ट ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता तय करने के लिए वह अपीलों को वृहद संविधान पीठ के पास भेज सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक पीठ बनाने पर पांच हफ्ते बाद सुनवाई करेंगे।
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 143 याचिकाओं में से करीब 60 की प्रतियां सरकार को दी गई हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से सीएए के क्रियान्वयन पर रोक लगाने और एनपीआर की प्रक्रिया को फिलहाल टाल देने का अनुरोध किया। केंद्र सरकार ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली उन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए उसे समय चाहिए जो उसे अभी नहीं मिल पाई हैं।
सीएए के खिलाफ दी गई याचिकाओं की तरफ से कपिल सिब्बल ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के लिए दो तक के लिए सीएए पर रोक लगाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सीएए पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम एकतरफा फैसला नहीं सुना सकते। केंद्र सरकार को सुने बिना रोक नहीं लगाई जा सकती है। कपिल सिब्बल ने कहा कि एक बार नागरिकता मिलने के बाद नहीं छीनी जा सकती है।
जबकि शीर्ष अदालत ने 60 अपीलों के लिए केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी थी, तब से याचिकाओं की संख्या बढ़कर 144 हो गई है। एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा और अन्य की याचिकाएं भी शामिल हैं।
नागरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता प्रदान करता है, जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे।