- 1988 मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
- इस केस में नवजोत सिंह सिद्धू को जुर्माना लगाकर अदालत ने बरी कर दिया था
- पीड़ित परिवार ने 2018 में रिव्यू पिटीशन दायर की थी।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को एक आवेदन पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें कहा गया है कि लगभग 32 साल पुराने ‘रोड रेज’ मामले में उनकी सजा केवल जानबूझ कर चोट पहुंचाने के अपराध के लिए कम नहीं की जानी चाहिए।पीड़ित परिवार द्वारा दायर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई याचिका 15 मई, 2018 के फैसले की समीक्षा की मांग की गई। 1988 के रोड रेज मामले में सिद्धू को केवल 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया गया था जिसमें पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मृत्यु हो गई थी।
वकील की मांग
एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि उन्होंने एक आवेदन दायर कर नोटिस का दायरा बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने शीर्ष अदालत के पहले के एक फैसले का हवाला दिया और कहा कि एक स्पष्ट निश्चय है कि जो व्यक्ति मौत का कारण बनता है उसे चोट की श्रेणी में अपराध के लिए दंडित नहीं किया जा सकता है और न ही उसे दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में, दोषसिद्धि को घटाकर 323 (आईपीसी की धारा 323) करने और जुर्माना लगाने की कृपा की गई है।’’ उन्होंने कहा कि यह मुद्दा शीर्ष अदालत द्वारा विचार करने योग्य है।
33 साल पुराने मामले में रिव्यू पिटीशन
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि यह 33 साल पुराना मामला है जिसमें वो बरी किए जा चुके हैं। इस केस में रिव्यू पिटीशन लगाने के पीछे राजनीतिक मंशा थी। 33 साल पुराने मामले को एक बार फिर उठाए जाने का मतलब नहीं है। बता दें कि पंजाब में रिव्यू पिटीशन की आड़ में विपक्षी दलों ने नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधा था।