नई दिल्ली: भारतीयों को यूक्रेन से लाने के लिए दो विशेष विमान(एअर इंडिया) रोमानिया जाएंगे। पहली उड़ान दिल्ली और दूसरी उड़ान मुंबई से क्रमश: रोमानिया और बुडापेस्ट के लिए शनिवार को रवाना की जाएंगी। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने रोमानिया के विदेश मंत्री बोगदान ऑरेस्कु के साथ बातचीत की और यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने में उनके समर्थन की सराहना की। वर्तमान में 20,000 से अधिक भारतीय यूक्रेन में रह रहे हैं जिनमें से अधिकतर छात्र हैं।
जयशंकर ने ट्विटर पर कहा कि यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालने पर रोमानिया के FM @BogdanAurescu के समर्थन की गहराई से सराहना करते हैं। @MEAIndia सीमा पार तेजी से सुनिश्चित करने के लिए @MAERomania के साथ काम कर रहा है। कठिनाई का समय ही बताता है दोस्त क्या हैं।
जयशंकर ने हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्टो और स्लोवाकियाई एफएम, इवान कोरकोक के साथ यूक्रेन में भारतीय नागरिकों को उनके देशों के माध्यम से निकालने पर भी बातचीत की। विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला ने कहा कि जयशंकर के यूक्रेन में चल रहे सैन्य अभियानों के बीच यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से बात करने की उम्मीद है। यूक्रेन की स्थिति पर गुरुवार को विशेष ब्रीफिंग के दौरान श्रृंगला ने कहा कि विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के आज यूक्रेन के विदेश मंत्री से बात करने की उम्मीद है।
यूक्रेन में स्थित भारतीय दूतावास ने शुक्रवार को फंसे हुए भारतीयों से 'मजबूत, सुरक्षित और सतर्क' बने रहने की अपील की और कहा कि रोमानिया और हंगरी सीमा के रास्ते उन्हें निकालने के प्रयास जारी हैं। दूतावास ने एक परामर्श में कहा कि भारतीय टीमों को हंगरी सीमा पर चोप-जाहोनी सीमा बिंदु और रोमानिया सीमा पर उजहोरोड में चेर्नित्सि के पोरबने-स्ट्रीट के आसपास तैनात किया जा रहा है।
परामर्श में कहा गया है कि इस कठिन परिस्थिति में भारतीय दूतावास भारतीयों से मजबूत, सुरक्षित और सतर्क रहने का अनुरोध करता है। दूतावास भी यूक्रेन में भारतीय समुदाय की मदद के लिए चौबीस घंटे काम कर रहा है।' परामर्श के अनुसार भारत सरकार और दूतावास रोमानिया व हंगरी के जरिये निकासी मार्ग स्थापित करने पर काम कर रहे हैं।'यूक्रेन में इस समय करीब 16,000 भारतीय फंसे हुए हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव तब और बढ़ गया जब पुतिन ने सोमवार को यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों - डोनेट्स्क और लुहान्स्क - को स्वतंत्र संस्थाओं के रूप में मान्यता दी, जो दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव को बढ़ा रहे थे। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन को स्वतंत्रता मिली थी।