- एमएसपी और एपीएमसी को लेकर किसानों सरकार के तर्क से सहमत नहीं।
- कारपोरेट सेक्टर के हाथ में जमीनों के मालिकाना हक जाने का डर
- एमएसपी पर संवैधानिक गांरटी की मांग
नई दिल्ली। किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत भी अधर में दिख रही है। सरकार और किसानों के बीच एमएसपी और मंडी समितियों के विषय पर गतिरोध था जिस पर सरकार एक कदम आगे बढ़ी थी। लेकिन एमएसपी के नाम पर अभी सहमति नहीं बन पा रही है। किसानों का कहना है कि वो संवैधानिक गारंटी चाहते हैं।
किसानों का यह है कहना
एमएसपी पर किसानों ने केंद्र सरकार के लिखित वादे को ठुकरा दिया है। किसान संगठनों का कहना है कि कानून में संसोधन हो। उनका यह भी कहना है कि कानून ऐसा बने कि एमएसपी की गारंटी हो। संगठनों का कहना है कि उन्होंने अपनी बात सरकार के सामने रख दी है गतिरोध को बनाए या तोड़ने की जिम्मेदारी पूरी तरह केंद्र सरकार की है। वो लोग नहीं चाहते कि उनके प्रदर्शन से किसी को परेशानी हो। लेकिन सच यह भी है कि करोड़ों किसानों का भविष्य अंधकार में है।
आठ दिन से दिल्ली की घेरेबंदी
किसान संगठनों मे अपनी मांग के समर्थन में दिल्ली के चारों पर बॉर्डर पर घेरेबंदी की हुई थी जिसकी वजह से लोगों को तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। केंद्र सरकार की तरफ से बार बार किसानों को भरोसा दिया जा रहा था कि उन्हें किसी के चंगुल में नहीं फंसाया जाएगा। एक ऐसे सिस्टम का निर्माण किया जा रहा है जो किसानों और देश दोनों के विकास के लिए जरूरी है।