- हिमाचल प्रदेश उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा
- सीएम जयराम ठाकुर ने कहा हार के लिए महंगाई जिम्मेदार
- कांग्रेस ने अपनी जीत को बदलाव का संदेश बताया
हिमाचल प्रदेश में अगले वर्ष 2022 में विधान सभा चुनाव होने हैं और इसी परिप्रेक्ष्य में हाल में हुए लोक सभा और विधान सभा उपचुनाव परिणाम का आंकलन बहुत जरुरी है। हिमाचल में में एक लोक सभा सीट मंडी और तीन विधान सभा सीटों अर्की, फतेपुर और जुब्बल कोटखाई में उपचुनाव हुए जिसमें मंडी लोक सभा और जुब्बल कोटखाई विधान सभा सीट बीजेपी की थी और अर्की और फतेपुर विधान सभा सीट कांग्रेस की थी। लेकिन कांग्रेस ने चारों सीटों पर उपचुनाव में जीत हासिल कर ली। इसी परिणाम ने बीजेपी को चिंता के घेरे में डाल दिया क्योंकि अगले साल विधान सभा चुनाव होने हैं।
हिमाचल में कांग्रेस की जीत और बीजेपी की हार को समझने के लिए परिणामों के आंकड़ों को समझना जरुरी है।
विधान सभा उपचुनाव परिणाम : सीट
पार्टी | 2021 उपचुनाव | 2017 चुनाव | सीटों का नफा/नुकसान |
कांग्रेस | 3 | 2 | 1 |
बीजेपी | 0 | 1 | -1 |
विधान सभा उपचुनाव परिणाम: वोट
पार्टी | 2021 उपचुनाव | 2017 चुनाव | वोटों का नफा/नुकसान |
कांग्रेस | 48.90% | 42.1% | 6.8% |
बीजेपी | 28.05% | 49.2% | -21.15% |
उपरोक्त आंकड़े कहते हैं कि यदि विधान सभा चुनाव 2017 के परिणामों से तुलना करें तो सीटों के हिसाब से कांग्रेस को एक सीट का फायदा और वोटों में 6.8 फीसदी का फायदा हुआ जबकि बीजेपी को एक सीट का नुकसान साथ ही 21.15 फीसदी वोटों का भारी नुकसान हुआ।
यदि लोक सभा चुनाव 2019 से उपचुनाव की तुलना करें तो कांग्रेस को एक सीट का फायदा और बीजेपी को एक सीट का नुकसान हुआ।
लोक सभा उपचुनाव: सीट
पार्टी | 2021 उपचुनाव | 2019 चुनाव | सीटों का नफा/नुकसान |
कांग्रेस | 1 | 0 | 1 |
बीजेपी | 0 | 1 | -1 |
लोक सभा उपचुनाव:वोट
पार्टी | 2021 उपचुनाव | 2019 चुनाव | वोटों का नफा/नुकसान |
कांग्रेस | 49.14 % | 27.5% | 21.64% |
बीजेपी | 48.14% | 69.7% | -21.14 % |
नतीजों की 6 बड़ी बातें
पहला
विधान सभा उपचुनाव में बीजेपी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है क्योंकि कांग्रेस ने अपना दोनों सीट रिटेन तो किया ही बल्कि बीजेपी के एक सीट पर भी कब्जा कर लिया। वोट के मामले में भी कांग्रेस ने अपने हिस्से में काफी इजाफा कर लिया और बीजेपी को भारी नुकसान हुआ।
दूसरा
लोक सभा उपचुनाव में भी बीजेपी को मंडी सीट गवाना पड़ा जबकि 2014 और 2019 के चुनाव में बीजेपी ने लगातार दो बार सीट जीती थी।
तीसरा
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का हाल ही में देहांत हुआ था और कहते हैं कि कांग्रेस को वीरभद्र सिंह के नाम पर वोट मिलाने से भारी जीत हुई क्योंकि वीरभद्र सिंह हिमाचल केकई बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और मंडी लोक सभा उपचुनाव में उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह की जीत का कारण सिम्पथी वेव ही कहा जाता है।
चौथा
बीजेपी नेता और हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने हार का सबसे बड़ा कारण महंगाई को बताया है।
पांचवां
1993 से ही हिमाचल में एक ट्रेंड रहा है कि लगातार एक पार्टी की दोबारा सरकार नहीं बनी है। 1993 में कांग्रेस,1998 में बीजेपी , 2003 में कांग्रेस , 2007 में बीजेपी , 2012 में कांग्रेस और 2017 में बीजेपी की सरकार बनी है। यदि इस ट्रेंड को एक लकीर माने तो 2022 का विधान सभा कांग्रेस के खाते में जा सकता है लेकिन बीजेपी किसी प्रकार पावर को रिटेन करने की कोशिश करेगी और यदि बीजेपी दोबारा चुनाव जीत जाती है तो एक नया ट्रेंड स्थापित होगा। लेकिन ऐसा होगा या नहीं ये तो भविष्य में ही पता चलेगा।
छठा
मोदी फैक्टर, 2014 और 2019 लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने हिमाचल में चारों सीट पर जीत हासिल की। इतना ही नहीं बल्कि बीजेपी को सीटों के साथ साथ वोटों के मामले भी बढ़त मिली थी। 2014 में 53.9 फीसदी और 2019 में 69.7 फीसद वोट हासिल हुए थे। इसका मतलब 2012 में भले ही कांग्रेस ने विधान सभा चुनाव जीत कर सरकार बनाई हो लेकिन दो वर्ष बाद 2014 में मोदी फैक्टर ने चारों सीट बीजेपी की झोली में डाल दिया और 2019 में भी चारों सीट पर बीजेपी का कब्जा हो गया। इसका मतलब साफ है कि लोकसभा चुनाव परिणाम का विधान सभा चुनाव से कोई लेना देना नहीं रहा है। इस मामले में मोदी मैजिक ने पिछले दो लोक सभा चुनाव में काम किया और 2024 में भी इसी तरह का अनुमान लगा सकते हैं।
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि विधान सभा उपचुनाव अगले वर्ष 2022 के चुनाव के लिए रेफेरेंडम साबित हो सकता है लेकिन 2024 के लोक सभा चुनाव के लिए ये उपचुनाव रेफेरेंडम होगा इसमें थोड़ा संदेह है। वैसे असलियत में होगा क्या इसके लिए करना होगा इन्तजार।