- तीसरी लहर का बच्चों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका पड़ने की जताई जा रही है
- इसे ध्यान में रखते हुए देश में भी बच्चों के लिए वैक्सीन की जरूरत बताई जा रही है
- ट्रायल के लिए पहले बच्चों की स्क्रीनिंग होगी, उन्हें पूरी तरीके से स्वस्थ पाए जाने के बाद ही टीका लगाया जाएगा
नई दिल्ली: एम्स दिल्ली में सोमवार से कोरोना के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल के साथ उनकी स्क्रीनिंग शुरू करने जा रहा है, इससे पहले एम्स पटना में बच्चों पर कोवैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल प्रारंभ हो चुका है, एम्स प्रशासन के मुताबिक, सोमवार सुबह 9 बजे से यह ट्रायल शुरू होगा और आठ सप्ताह में इसको पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, डीसीजीआई ने बच्चों पर कोवैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी दी है।
कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका पड़ने की जताई जा रही है, इसे देखते हुए देश में भी बच्चों के लिए वैक्सीन की जरूरत बताई जा रही है।मीडिया रिपोर्टो के मुताबिक बताया जा रहा है कि ट्रायल के लिए पहले बच्चों की स्क्रीनिंग होगी, उन्हें पूरी तरीके से स्वस्थ पाए जाने के बाद ही टीका लगाया जाएगा वहीं ट्रायल के कई चरण में होंगे, पहले चरण में 17 बच्चों को शामिल किया जाएगा।
एम्स पटना ने बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू किया था
भारत बायोटेक को दवा नियामक डीसीजीआई से 11 मई को बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी मिली थी इसके बाद बीते हफ्ते एम्स पटना ने 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू किया था, पटना एम्स में जो ट्रायल चल रहा है उसमें 2 से 18 साल की उम्र के बच्चे शामिल हैं, इसके बाद 6-12 साल के बच्चों पर कोवैक्सिन का ट्रायल होगा फिर 2-6 साल के बच्चों को शामिल किया जाएगा।
कई देशों में बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाना शुरू भी कर दिया है
गौर हो कि दुनिया में फाइजर, मॉडर्ना समेत कई कंपनियां पहले ही कोरोना वैक्सीन का बच्चों पर परीक्षण कर चुकी हैं वहीं अमेरिका समेत तमाम देशों ने तो एक निश्चित आयु वर्ग के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाना शुरू भी कर दिया है। हाल में नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) वीके पॉल ने कहा था कि कोवैक्सीन को डीसीजीआई ने मंजूरी दी है उसे 2 से 18 साल के आयु वर्ग के लिए क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी गई है।