- बुधवार को महाराष्ट्र के तट से टकराने वाला है चक्रवाती तूफान निसर्ग
- अरब सागर से उठा है यह चक्रवात, महाराष्ट्र और गुजरात में अलर्ट
- दोनों राज्यों में एनडीआरएफ की टीमें तैनात, मछुआरों को समुद्र में जाने से रोका
नई दिल्ली : अरब सागर से उठने वाला चक्रवाती तूफान 'निसर्ग' बुधवार शाम को महाराष्ट्र के तट से टकराने वाला है। इसे लेकर महाराष्ट्र, गुजरात सहित तटवर्ती राज्यों में एहतियात बरती जा रही है। चक्रवात के संभावित नुकसान एवं खतरों को देखते उए प्रशासन अलर्ट है। मुंबई, ठाणे, पालघड़, रायगढ़ में रेड अलर्ट है। गुजरात में एनडीआरएफ की 16 टीम और महाराष्ट्र में 10 टीम तैनात की जा रही है। तूफान को देखते हुए मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में आने वाला यह शताब्दी का दूसरा चक्रवात है।
बांग्लादेश ने दिया है 'निसर्ग' नाम
अरब सागर से उठने वाले 'निसर्ग' चक्रवात का नाम बांग्लादेश ने दिया है। साल 2020 में उत्तरी हिंद महासागर से उठने वाले चक्रवातों के लिए बनी नई सूची का यह पहला नाम होगा। करीब 15 दिनों पहले पश्चिम बंगाल और ओडिशा में भीषण तबाही मचाने वाले चक्रवाती तूफान 'अम्फान' का नामकरण थाइलैंड ने किया। बांग्लादेश ने इसके पहले साल 2019 में ओडिशा में आए चक्रवाती तूफान 'फणि' का भी नामकरण किया था। दरअसल चक्रवाती तूफानों का नामकरण उनके स्वभाव एवं क्षमता के आधार को ध्यान में रखकर किया जाता है। एक प्रक्रिया के तहत देशों के समूह में शामिल देश चक्रवातों का नामकरण करते हैं।
साल 2000 से शुरू हुआ नामकरण
हिंद महासागर के चक्रवातों के नामकरण का सिलसिला साल 2000 में शुरू हुआ और इस पर 2004 में एक सहमति बनी। भविष्य में आने वाले चक्रवाती तूफानों का नामकरण पहले ही कर दिया गया है। जैसे कि भविष्य में आने वाले चक्रवाती तूफानों का नाम कुछ ऐसा होगा। गाती नाम भारत, नीवर नाम ईरान, बुरेवी नाम मालदीव और यास नाम ओमान की तरफ से दिया जाएगा।
साल 2018 में कई और देश पैनल में हुए शामिल
वैज्ञानिक समुदाय एवं आपदा प्रबंधन की संस्थाओं को मदद पहुंचाने के लिए साइक्लोन का नामकरण किया जाता है। इससे लोगों के बीच जागरूकता फैलाने और चेतावनी जारी करने में भी मदद मिलती है। एशिया और प्रशांत के लिए वर्ल्ड मेट्रोलोजिकल ऑर्गनाइजेशन एवं यूएन इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन की साल 2000 की 27वीं सत्र में अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी में उठने वाले ट्रॉपिकल चक्रवातों का नामकरण करने पर सहमति बनी। बांग्लादेश, भारत, मालदीव, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका एवं थाईलैंड इस पैनल का हिस्सा हैं। बाद में साल 2018 में इस समूह में ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और यमन को सूची में शामिल किया गया है।