- बंगाल की खाड़ी से करीब 86 फीसद और अरब सागर से 14 फीसद आते हैं चक्रवात
- बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवात, अरब सागर की तुलना में घातक
- ट्रापिकल साइक्लोन आम तौर पर जून से सितंबर के बीच आते हैं।
नई दिल्ली। देश के एक तरफ कोरोना का सामना कर रहा है तो दूसरी तरफ एक और तबाही दस्तक देने के लिए तैयार है और उस तबाही का नाम है साइक्लोन अम्फान। इसे सुपर साइक्लोन की भी संज्ञा दी जा रही है और उसके पीछे वजह यह है कि इसमें हवा की रफ्तार 150 किमी प्रति घंटे होगी। अगर कोई चक्रवात जिसमें हवा की रफ्तार 150 किमी प्रति घंटे से ज्यादा होती है तो उसे सुपर साइक्लोन की संज्ञा दी जाती है। अब सवाल यह है कि इसे ट्रापिकल साइक्लोन क्यों कहा जाता है।
ट्रापिकल साइक्लोन के बारे में सब कुछ जानें
भारत में आने वाले तूफानों को ट्रापिकल साइक्लोन कहा जाता है, उसके पीछे वजह यह है कि हमारा देश इक्वेटर से करीब 8 डिग्री उत्तर दिशा में है और 23.5 डिग्री पर कर्क रेखा देश के आठ राज्यों से गुजरती है, और यह भारत को दो हिस्सों में बांट देती है। भारत, तीन तरफ समुद्र से घिरा हुआ है, पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में हिंद महासागर। चूंकि गर्मी जब शुरू होती है तो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से वाष्पन अधिक होता है और वातावरण में आद्रता बढ़ जाती है। अब चूंकि पृथ्वी अपनी धूरी पर पश्चिम से पूरब की ओर धूमती है और इसके साथ ही कोरियालिस फोर्स भी काम करता है।
चक्रवात आने की वजह
समुद्र में मौसम की गर्मी से हवा गर्म हो जाती है और कम वायु दाब का क्षेत्र बन जाता है। जब हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर की तरफ आती है को तो पहले से ही वायुमंडल में वाष्प की मौजूदगी में संघनन होता है और बादल का निर्माण हो जाता है। इस वजह से वही नम हवा तेजी से खाली जगह को भरने के लिए नीेचे उतरने लगती है। जब हवा बहुत तेजी से उस इलाके के चारों तरफ घूमती है तो घने बादलों और चमक के साथ तेज बारिश होती है। जून में चक्रवाती तूफान आना आम बात है और अधिकतर चक्रवाती तूफान बंगाल की खाड़ी में उठते हैं। अगर पिछले 100 साल के आंकड़े को देखें तो सभी चक्रवाती तूफान के 86 फीसद बंगाल की खाड़ी में आए हैं और 14 फीसद अरब सागर में आए हैं। अरब सागर से उठे चक्रवात, बंगाल की खाड़ी की तुलना में कमजोर होते हैं।