मुंबई: प्रवासी श्रमिक ऐसा तबका है जिसपर लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार पड़ी है उनका रोजगार कामधंधा तो छिन ही गया है वहीं अब अपना और परिवार का पेट पालने का बड़ा सवाल उनके मुंह बांये खड़ा है, ये किसी भी कीमत पर अब अपने गांव-घर वापसी करना चाह रहे हैं चाहें पैदल कितने ही किलोमीटर चलना पड़े या किसी और माध्यम से बस कैसै भी अपने घर पहुंच जायें।
इसी क्रम में प्रवासी श्रमिकों की भारी भीड़ मुंबई में बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर इकट्ठी हुई बताया जा रहा है कि ये सभी बिहार के लिए "श्रमिक स्पेशल ट्रेन" में सवार होने के लिए यहां पहुंचे थे।
इतनी भीड़ देखकर प्रशासन व पुलिस के हाथ पांव फूल गए फिर पुलिस ने किसी तरह स्थिति को संभाला और बताया कि जिन्होंने रजिस्ट्रेशन करा रखा था (लगभग 1000) उन्हें भेजा गया बाकियों को पुलिस ने उनके घर वापस भेजा।
ऐसा ही नजारा यूपी के गाजियाबाद में सामने आया था जब सोमवार को हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर गाजियाबाद स्थित रामलीला मैदान पहुंचे। ये प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों के लिए रवाना होने वाली श्रमिक ट्रेनों के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराना चाहते थे।
गाजियाबाद में भी उड़ीं सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां
यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते कोई नजर नहीं आया। ओरैया की घटना के बाद यूपी के जिलों का बॉर्डर सील कर दिया गया है जिसके बाद प्रवासी मजदूर सड़क के रास्ते अब अपने गांव की तरफ रवाना नहीं हो पा रहे हैं।
ओरैया में सड़क दुर्घटना के बाद यूपी सरकार सख्त हो गई है। सरकार ने जिला प्रशासन को आदेश दिया है कि प्रवासी मजदूरों को सड़क पर पैदल चलने की इजाजत न दी जाए। इसके बाद जिलों की सीमाएं सील कर दी गई हैं। प्रशासन लोगों से चाहता है कि जो प्रवासी मजदूर अपने घर जाना चाहते हैं, उनका रजिस्ट्रेशन किया जाए। प्रशासन पेपर का काम पूरा करने के बाद इन लोगों के लिए बस या ट्रेन की व्यवस्था करेगा।
गाजियाबाद के रामलीला मैदान में प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में पहुंचे । यहां लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने का कोई इंतजाम प्रशासन की तरफ से नहीं किया गया है।
प्रशासन ने मजदूरों के आधार और राशन के आधार पर रजिस्ट्रेशन किया है लेकिन उसकी तरफ से खामी भी नजर आई है। मजदूरों को घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन की रसीद दी गई है लेकिन मजदूरों को पता नहीं है कि उन्हें किस बस में चढ़ना है। एक प्रवासी मजदूर ने बताया कि उसे पटना जाना है लेकिन उसे कोई रेलगाड़ी नहीं मिल रही है। कई मजदूर पंजाब से पैदल यहां पहुंचे हैं।