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I am Corona: चीन की चौहद्दी से जब निकला तो आवाज आई हैंडशेक मत करो ना

Updated Mar 12, 2020 | 21:00 IST

कोरोना अपने खोल से निकल कर बाहर उत्पात मचा रहा है। वो मंद मंद दुनिया में हो रही तबाही का लुत्फ ले रहा है। उसे उसके खोल में वापस भेजने की पूरजोर कोशिश हो रही है। लेकिन...

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कोरोना के कहर से दुनिया परेशाना

नई दिल्ली। मैं कोरोना हूं, मैं कोई सीधा साधा वायरस नहीं हूं।अब तक 1 लाख से ज्यादा लोगों को शिकार बना चुका हूं और चार हजार लोग काल के गाल में समा चुके हैं। क्या चीन, क्या अमेरिका, क्या इटली, क्या जर्मनी मेरे नाम से ही इन देशों में दहशत है। चीन अपने आपको सर्वशक्तिमान समझता है, लेकिन वुहान में जब मैंने कहर बरपाना शुरू किया तो शी जिनपिंग महीने भर बीजिंग से बाहर नहीं निकले। मैंने सोचा है कि जिनपिंग के दिल में  खौफ का जितना राज करना था कर लिया, चलो अब छोड़ वुहान ताकि वो वहां जा सकें। अब मैं भी क्या करूं मेरा भी तो मन करता है दुनिया घूमूं। अब मैं पूरी दुनिया का चक्कर लगा रहा हूं तो मुझे रोकने के लिए हर संभव कोशिश हो रही है। लेकिन बड़ी शिद्दत से मुझे भी इंतजार है कि इजराइल के शोधकर्ता मुझसे कब निजात पाते हैं। दावा तो अमेरिका ने भी किया था। लेकिन अब ट्रंप साहब लोगों की आवाजाही पर ही पाबंदी लगा रहे हैं। 

चीन की चौहद्दी से निकला तो यूरोप नजर आया
चीन की चौहद्दी से जब बाहर निकला तो लगा कि अब मुझे चमक दमक वाली दुनिया की तरफ भी रुख करना चाहिए। मैंने इसके लिए यूरोप की उड़ान भरी और जा पहुंचा मिलान और वेनिस की गलियों में । इटली की चमक दमक मुझे इतनी रास आई कि वहां से निकलने का मन ही नहीं हो रहा। अब आप मेरे असर को तो देखिए इटली से दुनिया के ज्यादातर देश कन्नी काट रहे हैं अब मैं जब इटली की उड़ान पर था तो बीच रास्ते में भी कुछ ऐसे देश दिखाई दिए जो मेरी नजरों से बच ना सके रास्ते में ईरान पड़ा तो वहां भी कहर बरपा दिया।

अब ईरान के बारे में क्या कहें
अब ईरानी लोगों की देखिए बचने के लिए बड़े बड़े उपाय किये जाने लगे। यहां तक कि कुछ लोगों को लगा कि सुरा  यानि शराब की मार से मेरा अस्तित्व मिट जाएगा। लेकिन उफ्फ ऐसा हो नहीं सका, बेचारों को पता नहीं था कि अगर मैं शराब से मर जाता तो क्या जिनपिंग वुहान को उस उपाय से बचा नहीं लिए होते। ईरान की गलियों को सैनिटाइज किया जा रहा है ताकि मैं नहीं पनप सकूं। लेकिन मैं तो हजारों की संख्या में लोगों की जिस्म में जगह बना चुका हूं। 

मेरी असर के 'असर' को तो देखो
मेरे असर के असर को तो देखिए की जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल कहती हैं कि उनकी सत्तर फीसद आबादी मेरी गिरफ्त में है, अब मैं करुं तो क्या करुं भाई मुझे भी तो घूमने का मन करता है जिस तरह से हवा और पानी सरहदों के भेद को नहीं जानते तो भला मैं अपना पराया करुं। मेरी तो यही खासियत मैंं सबका हूं। लोग मुझसे प्यार करें या नफरत यह अलग बात है। लेकिन जितनी मेरी जिंदगी है उतना तो जी लेने दो यारों। लोग तो वैसे भी कहते हैं कि गर्मी आने दो कोरोना का यह वायरस छू मंतर हो जाएगा। लोग सच ही कहते हैं कि जैसे इस दुनिया में हर किसी की उम्र तय है ठीक वैसे ही मेरी भी उम्र है। मुझे जी लेने दो।

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