नई दिल्ली: कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग को रामबाण बताया है। ये बात बार-बार दोहराई जा रही है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग सबसे कारगर उपाय हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए देशभर में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन का ऐलान किया गया। हाल ही में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अध्ययन से पता चला है कि यदि 1 कोविड 19 रोगी लॉकडाउन के आदेशों का पालन नहीं करता है या सामाजिक दूरी का अभ्यास नहीं करता है, तो वो रोगी 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार को ये जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एहतियाती उपाए किए जाने पर संक्रमण की आशंका इसी अवधि में प्रति मरीज महज ढाई व्यक्ति रह जाएगी। मौजूदा 'आरओ' कोरोना वायरस के संक्रमण का औसत कहीं-कहीं 1.5 और चार के बीच है। आरओ गणितीय शब्दावली है। इससे पता चलता है कि महामारी का प्रसार किस तरह हो रहा है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि एक संक्रमित व्यक्ति से औसतन कितने लोग संक्रमित होंगे।
अग्रवाल ने कहा, 'अगर लॉकडाउन लागू नहीं हो और सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियमों का पालन नहीं हो तो आरओ 2.5 होने पर एक संक्रमित व्यक्ति 30 दिनों में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है। लेकिन, सामाजिक मेल जोल से दूरी बरतें तो एक बीमार व्यक्ति केवल 2.5 लोगों को ही संक्रमित कर पाएगा।
क्या लॉकडाउन का विस्तार होगा?
भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे है, इसी को देखते हुए कई राज्यों और विशेषज्ञों ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ा दी जाए। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि 15 अप्रैल को समाप्त हो रहे 21 दिन के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का विस्तार किया जाए। उन्होंने 2 और सप्ताह (15 अप्रैल के बाद) तक लॉकडाउन के विस्तार का सुझाव दिया है। उन्होंने BCG रिपोर्ट से एक संदर्भ लिया है, जिसमें सुझाव दिया गया कि भारत में 3 जून तक लॉकडाउन अच्छा रहेगा।