नई दिल्ली: कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार यानी 21 दिसंबर को एक फैसले में कहा कि यदि एक वयस्क महिला अपनी पसंद के साथी से शादी करती है और स्वेच्छा से अपना धर्म बदलना चुनती है तो अदालतें हस्तक्षेप नहीं कर सकती हैं। जस्टिस संजीब बनर्जी और अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ एक पिता द्वारा दायर यातिका पर सुनवाई कर रही थी। पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी 19 साल की लड़की गायब है। महिला का पता लगने के बाद पाया कि वह विवाहित है और उसने अपने पति के धर्म को अपना लिया है।
एक पुलिस अधिकारी के सामने दिए गए एक बयान से संकेत मिला कि उसने अपनी मर्जी से ऐसा किया था और वह अपने पैतृक घर नहीं लौटना चाहती थी।
अदालत ने स्पष्ट किया, 'वह 19 साल की है। उसने अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी कर ली है और वह जाहिरा तौर पर अपने पैतृक घर नहीं लौटना चाहती। यदि कोई वयस्क अपनी पसंद के अनुसार शादी करता है और वह धर्म परिवर्तन और पैतृक घर न लौटने का फैसला करता है, तो इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।'
हालांकि, पिता और याचिकाकर्ता ने पुलिस के सामने दिए गए बयान को लेकर आशंकाएं जताईं। इसलिए, महिला ने मजिस्ट्रेट के सामने दूसरा बयान दिया। इसमें भी साफ था कि वह किसी भी जबरदस्ती या अनुचित प्रभाव में नहीं थी। यह भी उसके पिता को समझाने के लिए पर्याप्त नहीं था।
फिर से बयान देगी महिला
पल्लबी सरकार, जिसे अब आयशा खातून के नाम से जाना जाता है, वह 15 सितंबर के आसपास लापता हो गई थी और जब उसके बारे में पता चला तो मालूम हुआ कि उसने अपना धर्म बदल लिया और असमूल शेख से शादी कर ली। मरुतिया पुलिस स्टेशन की 7 दिसंबर की रिपोर्ट के अनुसार, आयशा खातून ने असमूल शेख से शादी की। इस रिपोर्ट में वह बयान भी शामिल था जो उसने पश्चिम बंगाल के तेहट्टा में मजिस्ट्रेट के सामने दिया था कि वह शेख के साथ रिश्ते में थी और उसने स्वेच्छा से उससे शादी की। पिता के संदेह को दूर करने के लिए अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के समक्ष महिला को दूसरा बयान दर्ज करने के लिए कहा गया है।