- नोएडा में आरोग्य सेतु ऐप इंस्टॉल करने को अनिवार्य बनाने के खिलाफ IFF ने उठाई आवाज
- नोएडा प्राधिकरण के आदेश को समूह ने दी कानूनी चुनौती
- बताया निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन, पूछा सवाल- ऐप स्वास्थ्य का रास्ता है या जेल का?
नई दिल्ली: डिजिटल राइट्स को सक्रिय रहने वाले समूह इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (आईएफएफ) ने हाल ही में नोएडा प्राधिकरण को आरोग्य सेतु ऐप को लोगों के लिए अनिवार्य बनाने और इसे फोन में न ऱखने पर कानूनी कार्रवाई करने के आदेश को चुनौती दी है। इस बारे में ट्वीट में जानकारी देते हुए आईएफएफ ने कहा, 'सभी नोएडा निवासियों और आगंतुक ध्यान दें, हमने आरोग्य सेतु के अनिवार्य कार्यान्वयन के खिलाफ कानूनी चुनौती दी है।'
ट्वीट के साथ एक रिपोर्ट भी शेयर की गई है और कहा गया है, 'धारा 144 (5) के तहत दायर एक अभ्यावेदन के माध्यम से यह चुनौती दी गई है जिसका मसौदा एडवोकेट अभिनव सेखरी ने तैयार किया है और ऋत्विक, एडवोकेट ने इसे दायर किया है। ऋत्विक खुद नोएडा के रहने वाले हैं। आदेश को चुनौती देने के लिए एक औपचारिक कानूनी प्रक्रिया को गति दी जा रही है।'
साथ ही आईएफएफ ने ट्वीट में कहा, 'हम लोगों को भी धारा 144 के तहत आदेशों के खिलाफ आवाज उठाने में सक्षम बनाने के लिए प्रतिनिधित्व उपलब्ध करा रहे हैं। आइए हम निजता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हमारे अधिकार की रक्षा करें!'
गौरतलब है कि नोएडा प्रशासन ने 3 मई को दंड प्रक्रिया की धारा 144 के तहत एक आदेश जारी किया था, जिसमें नोएडा में रहने या बाहर से आने वाले लोगों को यह कहते हुए आरोग्य सेतु इंस्टॉल करने के लिए कहा गया था कि ऐसा नहीं करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत आपराधिक मुकदमा चलाया जाएगा।
समूह ने आरोप लगाया कि यह आदेश अनुच्छेद 21 के तहत निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है क्योंकि ऐप को इस्तेमाल करते हुए निजी जानकारी को साझा करने की अनुमति देनी होती है। साथ ही आईएफएफ ने सवाल भी उठाया है कि आरोग्य सेतु ऐप स्वास्थ्य का रास्ता है या फिर जेल जाने का?