- भारत और पाकिस्तान का विभाजन दुनिया में बड़ी मानवीय त्रासदियों में से एक है
- बंटवारे को लेकर भड़की हिंसा, मारकाट ने मानवता को भी शर्मसार कर दिया
- लाखों लोगों ने जान गंवाई तो करोड़ों बेघर हुए, महिलाओं की अस्मत भी सुरक्षित न रही
नई दिल्ली : देश 74वां दिवस मनाने जा रहा है। आजादी का जश्न भारत के साथ-साथ पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी है। लेकिन इस जश्न के साथ बड़ी मानवीय त्रासदी भी जुड़ी हुई है, जिसके बारे में पढ़कर और सुनकर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। दशकों के संघर्ष और बलिदान के बाद 15 अगस्त, 1947 को वह दिन भी आया जब आजादी की तारीख मुकर्रर हुई, लेकिन देश को स्वतंत्रता मिलने से पहले ही कई हिस्सों में हिंसा भड़क चुकी थी। आजादी के आंदोलन के साथ-साथ विभाजन की मांग भी जोर पकड़ रही थी।
...और बंट गया देश
भारत में तब एक तबका मुसलमानों के हितों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए अलग देश की मांग भी उठा रहा था, जिसकी अगुवाई मोहम्मद अली जिन्ना कर रहे थे। अलग देश की मांग को लेकर जगह-जगह दंगे भड़क चुके थे। यह महात्मा गांधी सहित उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों पर कुठाराघात था, जो वर्षों के त्याग व बलिदान के बाद एक आजाद व एकजुट मुल्क का सपना देख रहे थे। विभाजन टालने की हरसंभव कोशिश की गई, लेकिन सांप्रदायिक हिंसा के कारण परिस्थितियां इस तरह विकट हो गई थीं कि इसे टालना लगभग नामुमकिन हो गया था।
ब्रिटिश इंडिया के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन थे, जिन्होंने भीषण मानवीय त्रासदी के बीच भारत-पाकिस्तान के बंटवारे का फैसला लिया। माउंटबेटन आगे चलकर स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल बने। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, अलग देश की मांग को लेकर हिंसा इस कदर भड़क चुकी थी कि उस सर्वमान्य समझौते की संभावनाएं ही नहीं तलाशी जा सकीं, जो कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों को मान्य हो। तत्कालीन परिस्थितियों के आगे सभी लगभग बेबस हो गए थे और आखिरकार ब्रिटिश इंडिया भारत और पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया।
विभाजन बनी त्रासदी
विभाजन बड़ी मानवीय त्रासदी लेकर आया। बताया जाता है कि इस दौरान दोनों तरफ मारकाट इस बड़े पैमाने पर मची थी कि उसमें लाखों लोगों की जान चली गई, जबकि करोड़ों बेघर हो गए। क्या महिलाएं, क्या बच्चे, क्या बुजुर्ग, विभाजन की त्रासदी ने किसी को भी नहीं बख्शा। सब हिंसा की भेंट चढ़ गए। हिंसा ने जहां लाखों लोगों की जान ली, वहीं इस दौरान महिलाओं की अस्मिता भी सुरक्षित नहीं रही। बंटवारे की आग में हजारों महिलाओं, युवतियों, बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हुईं तो कई अन्य को अगवा कर लिया गया, जिनके बारे में आखिर तक कुछ पता नहीं चल पाया।
विभाजन के बाद सीमा पार से बड़ी संख्या में हिन्दुओं और सिखों ने भारत का रुख किया तो यहां से बड़ी संख्या में मुसलमान पाकिस्तान गए। दोनों ओर से पलायन करने वालों की संख्या करीब 1.5 करोड़ बताई जाती है। तब दोनों ओर से लोगों को लाने-ले जाने के लिए 'रिफ्यूजी स्पेशल' ट्रेनें उत्तरी व पश्चिमी लाइन पर चला करती थीं, लेकिन बड़ी संख्या में लोग पैदल भी सीमा पार कर रहे थे। हिंसा, लूट की घटनाओं ने करोड़ों इंसानों को प्रभावित किया तो मानवता भी शर्मसार हुई। यही वजह है कि भारत-पाकिस्तान का विभाजन दुनिया की बड़ी मानवीय त्रासदियों में से एक है।