- पार्लियामेंट के अलावा लालकिले पर पहली बार तिरंगा फहराते समय दिखा था इंद्रधनुष
- 16 अगस्त 1947 की सुबह साढ़े आठ बजे पंडित नेहरू ने लालकिले पर किया था ध्वजारोहण
- आजादी की खुशी में तब पूरे देश में मनाया गया था शानदार तरीके से जश्न
नई दिल्ली: आज देश अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए तैयार है तो ऐसे में आजादी से जुड़े कई संस्मरण ऐसे है जिन्हें सुनकर आज भी लगता है कि मानो यह कल की ही बात हो। आजादी के बाद से ही हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस का मुख्य कार्यक्रम दिल्ली के लाल किले आयोजित किया जाता है। यह ऐतिहासिक कार्यक्रम 16 अगस्त 1947 से चला आ रहा है जब लालकिले की प्राचीर से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ध्वजारोहण किया था। तब पूरा देश जश्न के माहौल में डूबा हुआ था और हर जगह लोग एक दूसरे को बधाई दे रहे थे।
उमड़ पड़ा था जनसैलाब
इतिहास के झरोखों से देखें तो दिल्ली की सड़कों पर तब लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा था और एक दूसरे को बधाई दे रहे थे। लोग सड़कों, पार्कों और चौराहों पर गीत गा रहे थे और अधिकतर लोग तिरंगे को हाथ में लेकर पार्लियामेंट की तरफ बढ़ रहे थे। कहा जाता है कि यह एक ऐसा सैलाब था जिसका जोश सातवें आसमान पर था और यह दृश्य वाकई में अद्भुत था जिसकी कोई कल्पना भी नही कर सकता था। युवा लोग पूरी रात घूमते रहे। इसी तरह की खबरें तब देश के अन्य हिस्सों से भी आ रहीं थीं।
तिरंगा फहराने के साथ ही आसमान में दिखने लगा था इंद्रधनुष
इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो तब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 16 अगस्त की सुबह सुबह साढ़े आठ बजे लालकिले की प्राचीर पर ध्वजारोहण किया था। इतिहासकारों की मानें तो उस समय पंडित नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस के 'चलो दिल्ली' के नारे और लालकिले से आजादी का झंडा फहराए जाने के सपने का जिक्र किया था। कोलकाता के रहने वाले शेखर चक्रवर्ती ने अपने संस्मरणों 'फ्लैग्स एंड स्टैम्प्स' में लिखा है, '15 अगस्त 1947 के दिन वायसराइल लॉज (अब राष्ट्रपति भवन ) में जब नई सरकार को शपथ दिलाई जा रही थी, तो लॉज के सेंट्रल डोम पर सुबह साढ़े दस बजे आजाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज पहली बार फहराया गया था।' इस दौरान आसमान में इंद्रधनुष दिखाई दिया जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। इंद्रधनुष की इस घटना का जिक्र माउंटबेटन ने भी अपनी रिपोर्ट में किया था जिसमें उन्होंने इंद्रधनुष के रहस्यमयी तरीके से अचानक दिखने का जिक्र करते हुए इसे चमत्कार से कम नहीं कहा था।
16 अगस्त की सुबह फहराया था पंडित नेहरू ने लालकिले पर तिरंगा
15 अगस्त 1947 को जब संसद के सामने तिरंगा फहराया गया तो ऐसा लगा कि आसमान भी प्रफुल्लित हो उठा है और उसी समय बारिश की हल्की बौछारें होने लगीं और कुछ देर बाद इंद्रधनुष निकल आया। इन सबके अलावा एक घटना का अक्सर जिक्र होता है जिसके अनुसार, जब पंडित नेहरू लालकिले की प्राचीर से झंडा फहरा रहे थे तो उस समय साफ नीले आसमान में एक इंद्रधनुष नजर आया है। इस इंद्रधनुष को देखकर वहां उपस्थित हर शख्स हैरान रह गया था।