- भारत और पाकिस्तान के बीच होनी है सिंधु जल संधि बैठक
- भारत ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक करने को कहा है
- पाकिस्तान अटारी सीमा चौकी पर बाचतीत करने पर जोर दे रहा है
नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान से कहा है कि सिंधु जल संधि (IWT) से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा के लिए कोरोनो वायरस महामारी के मद्देनजर वर्जुअल बैठक की जानी चाहिए। वहीं पाकिस्तान ने अटारी बॉर्डरं पर वार्ता आयोजित करने पर जोर दिया गया है। पिछले हफ्ते भारत के सिंधु आयुक्त ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष को एक पत्र में कहा था कि महामारी के कारण अटारी ज्वॉइंट चेक पोस्ट पर बैठक आयोजित करना अनुकूल नहीं है। इससे पहले सिंधु जल संधि के तहत लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मार्च के अंतिम सप्ताह में बैठक होनी थी, हालांकि, महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।
देश में कोरोना वायरस की स्थिति पर ध्यान देते हुए भारतीय कमिश्नर ने जुलाई के पहले सप्ताह में वीडियो कॉन्फ्रेंस या किसी वैकल्पिक माध्यम से बैठक आयोजित करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, पाकिस्तान के कमिश्नर ने पत्र के जवाब में इसके बजाय अटारी संयुक्त चेक पोस्ट पर पारंपरिक बैठक आयोजित करने के लिए दबाव डाला। सूत्रों के अनुसार, 'भारतीय आयुक्त ने यह कहते हुए जवाब दिया कि भारत में अभी भी स्थिति उनके प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के लिए अनुकूल नहीं है। अटारी चेक पोस्ट या नई दिल्ली में ऐसी बैठक की अनुमति देने में कुछ समय लग सकता है।'
सूत्रों ने बताया कि भारतीय आयुक्त ने पाकिस्तानी पक्ष से लंबित मुद्दों और नए मुद्दों पर एक व्यवहार्य विकल्प के तौर पर डिजिटल बैठक करने पर भी विचार करने को कहा। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि यहां तक कि अन्य देशों के साथ राजनयिक वार्ता डिजिटल बैठकों के माध्यम से हो रही हैं और सिंधु बैठक इसी तरह से हो सकती है।
विश्व बैंक ने मध्यस्थता अदालत नियुक्त करने में असमर्थता जताई
वहीं विश्व बैंक ने भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से लंबित जल विवाद के समाधान के लिये एक निष्पक्ष विशेषज्ञ या मध्यस्थता अदालत नियुक्त करने पर स्वतंत्र फैसला लेने में सक्षम नहीं होने की बात कही है। विश्व बैंक ने यह भी कहा कि दोनों देशों को द्विपक्षीय तरीके से एक विकल्प चुनना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान ने नौ साल की लंबी बातचीत के बाद 1960 में एक संधि पर हस्ताक्षर किये थे। इसमें वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता था।