- छह जून के बाद दूसरी बार हुई सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत
- 15 जून की हिंसा के बाद लद्दाख और एलएसी पर तनाव का माहौल
- भारत एलएसी से पीएलए को पीछे हटने की मांग कर सकता है
नई दिल्ली: गलवान घाटी की हिंसा के बाद लद्दाख में तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के शीर्ष कमांडरों के बीच सोमवार को लंबी बैठक हुई। यह बैठक चीन के हिस्से वाले वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास मोल्डो में हुई। सोमवार सुबह 11:30 बजे शुरू हुई बैठक देर रात तक चली। बैठक करीब 11 घंटे तक चली। गत छह जून की वार्ता के बाद सैन्य कमांडरों के बीच यह दूसरी बैठक थी। इस बैठक में भारत की तरफ से लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने हिस्सा लिया। 6 जून की बैठक में गलवान घाटी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पर सहमति बनी थी लेकिन गत 15 जून को भारत और चीन के बीच खूनी संघर्ष हो गया जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए।
एलएसी से फौज पीछे हटाने पर हो सकती है बातचीत
सूत्रों का कहना है कि तनाव के बीच दोनों सेनाओं के कमांडरों के बीच हो रही यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है। इस बैठक में सीमा से सैनिकों को अपनी तरफ पीछे लौटने, सीमा पर हिंसा में कमी लाने, एलएसी पर फौज के जमावड़े को कम करने और गश्ती के प्रारूप पर चर्चा हो सकती है।
चीन ने तैनात किए हैं 10 हजार सैनिक
सूत्रों का कहना है कि गलवान घाटी में अपने सैनिकों को मदद पहुंचाने के लिए चीन ने अपने 10 हजार सैनिक तैनात कर रखें हैं। इस सैन्ट टुकड़ी के साथ बख्तरबंद गाड़ियां एवं अन्य बड़े हथियार हैं। भारत चाहता है कि ये सैनिक यहां से पीछे हटें। हालांकि चीन ने अभी तक अपने सैनिकों की वापसी के बारे में अभी कोई संकेत नहीं दिए हैं। समझा जाता है कि इस बैठक में भारत इस मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाएगा। इसके अलावा चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास बड़ी तादाद में अपनी फौज को जमा करना शुरू कर दिया है। तिब्बत एवं एलएसी के समीप अपने वायु सेना ठिकानों पर उसने बम वर्षक विमानों, फाइटर प्लेन और हेलिकॉप्टर की तैनाती की है।
एलएसी पर अलर्ट है भारतीय फौज
15 जून की हिंसक घटना के बाद भारत ने एलएसी पर अपनी निगरानी कड़ी कर दी है। लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक सभी अग्रिम मोर्चों पर तैनात सेना अलर्ट पर है। एलएसी की निगरानी करने वाले वायु सेना के ठिकाने चौकस हैं। सीमा पर तनाव बढ़ जाने के बाद भारत ने इन इलाकों में सैनिकों की तादाद बढ़ा दी है। गलवान घाटी की हिंसा के बाद भारत सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सूत्रों का कहना है कि गलवान घाटी की घटना के बाद भारतीय सैनिक टकराव की हालत में अग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल नहीं करने की लंबी समय से चली आ रही परंपरा को मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे। भारतीय सेना इस बदलाव के बारे में चीनी सेना को अवगत करा सकती है।