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Ladakh Standoff पर बोले मनमोहन सिंह- अपने बयानों से चीन को मौका ना दें मोदी, शहीदों का बलिदान व्यर्थ ना हो

Updated Jun 22, 2020 | 10:54 IST

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत चीन सीमा विवाद को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि शहीद जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।

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मनमोहन सिंह बोले- अपने बयानों से चीन को मौका ना दें मोदी
मुख्य बातें
  • लद्दाख टकराव पर बयान के बाद पीएम को अपने शब्दों के प्रति सावधान रहना चाहिए- मनमोहन सिंह
  • मनमोहन बोले- गलवान घाटी में भारत के वीर साहसी जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी
  • हम चीन की धमकियों के सामने ना झुकेंगे और न ही अपनी भूभागीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे- मनमोहन सिंह

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री औऱ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. मनमोहन सिंह ने चीन के साथ चल रहे तनाव को लेकर बयान देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी को अपने शब्दों के प्रति सावधान रहना चाहिए। दरअसल मनमोहन सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस सर्वदलीय बैठक के बाद पीएम के बयान को आधार बनाकर लगातार सरकार पर हमला कर रही है। हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से बयान को लेकर स्पष्टीकरण भी जारी हो गया है।

बलिदान ना हो व्यर्थ
सोमवार को डॉ. मनमोहन सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा, 'गलवान घाटी में भारत के वीर साहसी जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी। इस बहादुर सैनिकों ने साहस के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए। देश के इन सपूतों ने अपनी अंतिम सांस तक मातृभूमि की रक्षा की। इस सर्वोच्च बलिदान के लिए राष्ट्र इन वीर सैनिकों और उनके परिवारों का कृतज्ञ है लेकिन उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।'


पीएम को रहना चाहिए सावधान
मनमोहन सिंह ने आगे कहा, 'आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड पर खड़े हैं हमारी सरकार के निर्णय व सरकार द्वारा उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आंकलन कैसे करें। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है। हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व देश के प्रधानमंत्री का है। पीए मको अफने शब्दों व ऐलान द्वारा देश की सुरक्षा एवं सामरिक व भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान रहना चाहिए।'

अखंडता से कोई समझौता नहीं

 चीन ने अप्रैल 2020 से लेकर अभी तक भारतीय सीमा में गलवान वैली एवं पांगोगं त्सो लेक में अनेकों बार जबरन घुसपैठ की है। हम न तो उनकी धमकियों व दवाब के सामने न झुकेंगे और न ही अपनी भूभागीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे। प्रधानमंत्री को अपने बयानों से उनके षडयंत्रकारी रूख को बल नहीं देना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामने करने वा स्थिति को और ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए परस्पर सहमति से काम करें। यह समय ह जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है तथा संगठित होकर इस दुस्साहस का जवाब देना है।

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