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120 जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को उतारा था मौत के घाट, पैरों से मशीन गन चलाता रहा ये भारतीय मेजर

श्वेता सिंह | सीनियर असिस्टेंट प्रोड्यूसर
Updated Oct 20, 2020 | 07:26 IST

India China War 1962: पीठ पर वार करने वाला चीन जब-जब भारत माता के चरणों की रज का अपमान करने का ख्याल भी मन में लाया है, तब-तब वीर सपूतों ने उसे मुंह तोड़ जवाब दिया है।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
120 भारतीय जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को उतारा था मौत के घाट।
मुख्य बातें
  • सिर्फ 120 वीर सपूतों ने 1300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था
  • गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी मेजर शैतान सिंह दुश्मनों के सामने डंटे रहे
  • चीन से युद्ध के 58 साल बाद भारतीय सेना का रूप बदल चुका है

नई दिल्ली: भारत माता के वीर सपूतों से जब-जब चीनी सेना आंख मिलाने की गुश्ताखी करती है, तब-तब उसे अपनी आंखें भारत के सम्मान में झुकानी पड़ती हैं। इतिहास गवाह है कभी भी चीन ने भारत पर सामने से हमला नहीं किया। हमेशा वो कायराना अंदाज ही दिखाता है। आज 1962 भारत-चीन युद्ध को पूरे 58 साल हो गए। अदम्य साहस का परिचय देते हुए भारत माता के 120 वीर सपूतों ने रेजांग ला की लड़ाई में 1300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था। आइए एक झलक इतिहास के उन पन्नों की, जो हमारे वीर सपूतों की गौरव गाथा से भरी है।  

जब 120 भारतीय वीर सपूतों ने 1300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा था

भारत से युद्ध करते-करते हार की नौबत जब आने लगी तब चीनी सैनिकों ने पीछे से हमला करने की साजिश रची। चौदह हजार फीट की ऊँचाई पर लड़ते हुए भारतीय सैनिकों ने अपने अथाह और अदम्य साहस का अपरिचय देते हुए अद्भुद युद्ध कौशल दिखाया। मात्र 120 वीर सपूतों ने 1300 चीनी सैनिकों को उतरा मौत के घाट उतारकर दुनिया को चौंका दिया। पूरा विश्व उस समय भारतीय सैनिकों की गौरव गाथा का गवाह बन गया था।  

आधुनिक हथियार के नाम पर सिर्फ वीरता थी लहू में  

आज भी भारत को बार-बार गीदड़ भभकी देने वाला चीन अपनी उस पराजय को कैसे भूल जाता है। उस समय भारत के पास न तो आधुनिक हथियार थे और न ही तकनीक का सहारा। अगर कुछ था तो सिर्फ वीर सपूतों की वीरता। डंटकर भारत माता के कलेजे के टुकड़ों ने उनकी आन-बान और शान को रत्ती भर भी खरोंच नहीं लगने दिया।  

पैरों से मशीन गन चलाकर मेजर ने रचा इतिहास  

सन 1962 के युद्ध में सामने से कई बार हमला करने के बाद जब चीनी सेना को कोई सफलता नहीं मिली तो कायरों की तरह पीछे से हमला कर दिया। युद्ध के दौरान कुमाऊं रेजिमेंट की तेरहवीं बटालियन का नेतृत्व कर रहे मेजर शैतान सिंह ने उस दिन अपने आदमी साहस से न सिर्फ अपनी टुकड़ी का हौसला बढ़ाया बल्कि चीनी सेना को पस्त भी किया। मेजर शैतान सिंह ने इतने चीनी सैनिकों को मौत के घात उतारा कि उसकी गिनती भी संभव नहीं थी।

शैतान सिंह की कुर्बानी आज भी लोग याद करते हैं

शैतान सिंह जवानों का हौसला बढ़ाने के साथ ही बिना सुरक्षा के एक जगह से दूसरी जगह दुश्मन पर हमला करते। इसबीच उन्हें गंभीर चोट आयी। साथी सैनिकों ने उन्हें एक बड़े पत्थर के पीछे बिठा दिया। कहते हैं कि बुरी तरह से घायल होने के बाद भी मेजर शैतान सिंह अपने पैरों से मशीन गन चला रहे थे। वो नजारा देख चीनी सेना पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी थी। उसके अगले दिन का सूरज जीत तो लेकर आया किन्तु भारत माँ का ये वीर सपूत तब तक उनके आँचल में गहरी नींद सो गया।  

भारतीय सेना अब बेहद ताकतवार हो चुकी है

अट्ठावन साल बाद भारतीय सेना में बहुत से बदलाव हो चुके हैं। सेना का आकार बढ़ चुका है। राफेल जैसे आधुनिक फाइटर जेट बेड़े में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में चीन की एक गलती उसका हाल बुरा कर सकती है।  

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