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Independence Day 2022 पर पढ़ें अपने सूबों के गीत, आंख में छलक आएंगे आंसू और याद दिला देंगे वीरों की कुर्बानी

Updated Aug 14, 2022 | 16:31 IST

Independence Day 2022: भारत विविधताओं का देश है। यहां अलग-अलग धर्म, भाषाओं, मजहबों और जातियों के लोग रहते हैं। स्वतंत्रता की लड़ाई में हर राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों का अपना-अपना अहम योगदान रहा है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
आजादी के गीत जो अलग-अलग राज्यों का बताते हैं योगदान
मुख्य बातें
  • संस्कृति मंत्रालय ने अलग-अलग राज्यों के गीतों का संकलन किया है।
  • संकलन में आजादी गीत के साथ राज्यों के गीत भी शामिल हैं।
  • हर घर तिरंगा अभियान 15 अगस्त तक मनाया जा रहा है।

Independence day @75: स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में  अपने देश में आजादी का अमृत उत्सव मन रहा है। संस्कृति मंत्रालय ने इस मौके पर अहम पहल की, जिसमें कई सूबों की विशेषता के आधार पर आजादी से जुड़े गीत और उनके राज्य गीतों का संकलन किया गया। ये गीत स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राज्यों की भूमिका के साथ उसके खासियत का भी वर्णन करते हैं।

क्या है खासियत

संस्कृति मंत्रालय के अनुसार, हमारे समृद्ध और विविध राष्ट्र का जश्न मनाने की पहल के रूप में गीत के रुप में प्रत्येक राज्य की विशिष्ट पहचान को उजागर करना है। प्रत्येक गीत राज्य की समृद्ध विरासत से लेकर महान व्यक्तित्वों तक का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे ही कुछ गीतों के बारे में आज हम जानकारी के दे रहे हैं।


1.हिमाचल प्रदेश 

असां आजादी तां पाई जे, कई बहादुर बारे
भगत सिंह सुखदेव सरीखे, अक्खां दे थे तारे

पहाड़ी गांधी कांशी ने था, खूब पहाड़ जगाया
आजादी रे गीत लिखे थे, चोल़ा काल़ा पाया
सूरत सिंह ने जलसे कित्ते, कम्म कमाए न्यारे
असां आजादी तां पाई जे, कई बहादुर बारे

सुभाष चन्द्र दी इक हक्का पर, निकल़े कई दिवाने
आजाद हिन्द दी फौज खरेड़ी, गवाही रेहे जमाने
कुर्बानी दे जज्बे जागे, खूब मघे अंगारे
असां आजादी तां पाई जे, कई बहादुर बारे

बजीर राम सिंह जोर लड़ी नैं, गोरे थे दौड़ाए
नूरपुर दा था नां चमकाया, लोकां नेंहीं भुलाए
अज बी कारक बारां बिच हन, चमकण बणी सितारे
असां आजादी तां पाई जे, कई बहादुर बारे

मेजर सोमनाथ री धरती, चंद्र नारायण बी स्हाड़े
कैप्टन अमोल साईं परवाने, दित्ते म्हारे प्हाड़े
सौरभ कालिया विक्रम बत्रा, एह् थे पुत्तर प्यारे
असां आजादी तां पाई जे, कई बहादुर बारे।

2.पंजाब

दीवा मेरे वतन दा बलदा सदा रहे
बूटा आज़ादियाँ दा फलदा सदा रहे’’
कर्जा अजे बड़ा है, होया ना सुरखरू
साहां तो वध मैनु, वतन दी आबरू
जज़्बा एह मर मिटन डा, फलदा सदा रहे
गैरां दी इन मन्ने, काहदी ओ अकल है
जीऊणा अणख दा यारो , जीऊणा ही असल है
अणखां दा काफला एह, चलदा सदा रहे
दीवा मेरे वतन दा बलदा सदा रहे
जिस थां तो मिलिया मैनूं, जीवन दा चज्ज है
ओहियो ही मेरा तीर्थ, ओहियो ही हज्ज है
पैगाम इह मेरा कोई, घलदा सदा रहे
दीवा मेरे वतन दा बलदा सदा रहे
राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह, भुल्लेगा दस्सो कौन ?
जिन्हां निवाई आकड़ी, गोरे दी गोरी धौन
किस्सा अह वीरता दा, चलदा सदा रहे
विच इंग्लैंड पहुँच के, कीता सी डायर ढेर,
ऊधम सिंह दे उधम दी, गल्ल छिडे जद फेर
वैरी ताँ ओहदे सेंक नू, झलदा सदा रहे
दीवा मेरे वतन दा बलदा सदा रहे
मंजल उरों जे रूकीये सानू हराम है
जित्तां तो घट ना साड्डा, आपणा मुकाम है
हत्थां नूं कोई वैरी, मलदा सदा रहे
दीवा मेरे वतन दा बलदा सदा रहे

दीया मेरे वतन का


दीया मेरे वतन का जलता सदा रहे
पौधा आजादियों का फलता सदा रहे!
कर्जा अभी बड़ा है, हुआ ना मुक्त हूँ
साँसों से अधिक मुझे वतन की आबरू
जज्बा ये मर मिटने का, पलता सदा रहे!
गैरों की अकड़ माने, कैसी वह अक्ल है
जीवन गैरत का यारों, जीवन ही असल है!
गैरतों का काफिला ये, चलता सदा रहे!
दीया मेरे वतन का जलता सदा रहे!!
जिस जगह से मिला मुझे जीवन का ढंग है
वही है मेरा तीर्थ, वही मेरा हज्ज है
पैगाम ये मेरा कोई, भेजता सदा रहे
दीया मेरे वतन का जलता सदा रहे !!
राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह, भूलेगा बताओ कौन
जिन्होंने झुकवाई अकड़ी हुई, गोरे की गोरी होंद
किस्सा ये वीरता का, चलता सदा रहे !
दीया मेरे वतन का जलता सदा रहे !!
पहुँच के बीच इंग्लैंड, किया था डायर ढेर
ऊधम सिंह के उधम की, बात चले जब फेर
वैरी उसके सेंक को, सहता सदा रहे
दीया मेरे वतन का जलता सदा रहे !!
मंजिल से पहले रुकना, हमको हराम है
जीत से कम ना हमारा अपना मुकाम है
हाथों को कोई वैरी मलता सदा रहे !
दीया मेरे वतन का जलता सदा रहे !

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3. उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश समेटता खुद को इतिहास के पन्नों में
पिढ़ियों की संस्कार संस्कृति से
अपना एक अस्तित्व दिखाया
उत्तर प्रदेश ने भारत को और भी महान बनाया।

हिम पर्वत उत्तर में हिमाचल के
रेतीले पहाड़ सजे दक्षिण में
लिए पश्चिम में राजधानी भारत की
घने जंगलों में मिले पुष्प पशु पूरब में।

पवित्र त्रिवेणी में संगम गंगा जमुना का
स्वर गूंजते लोक गीतों के त्योहारों में
शीत लहर और ताप का अनोखा संगम
उत्तर प्रदेश संजोए विविधता हर पार्श्व में।

लखनऊ जिसकी राजधानी
प्रयागराज न्याय का स्थान है
योग व कर्मयोग से बना
हर क्षण उन्नत यू-पी को प्रणाम है।

4. बिहार

मेरे भारत के कंठहार

तुझको शत-शत वंदन बिहार

तू वाल्मीकि की रामायण

तू वैशाली का लोकतंत्र

तू बोधिसत्व की करूणा है

तू महावीर का शांतिमंत्र

तू नालंदा का ज्ञानदीप

तू हीं अक्षत चंदन बिहार

तू है अशोक की धर्मध्वजा

तू गुरूगोविंद की वाणी है

तू आर्यभट्ट तू शेरशाह

तू कुंवर सिंह बलिदानी है

तू बापू की है कर्मभूमि

धरती का नंदन वन बिहार

तेरी गौरव गाथा अपूर्व

तू विश्व शांति का अग्रदूत

लौटेगा खोया स्वाभिमान

अब जाग चुके तेरे सपूत

अब तू माथे का विजय तिलक

तू आँखों का अंजन बिहार

तुझको शत-शत वंदन बिहार

मेरे भारत के कंठहार

5.हरियाणा

किस्सा दिखे सुणाऊँ लोग्गो, करकै सुणियो पूरा ख्यास। आज़ादी की लड़ी लड़ाई, हरियाणा नै सबतै खास।
हरियाणा वीरां की भूम्मी, बलिदानी न्यारा इतिहास।
कुलछेत्तर के रणछेत्तर म्हं...हो...ओ...हो..ओ कुलछेत्तर के रणछेत्तर म्हं, किरसण-बाणी आयी रास। पाणीपत की तीन लड़ाई, दुनिया नै इब लग अहसास।
सत्तावन म्हं इस माटी म्हं अंबाळा तै जाग्यी आस।।....1
सत्तावन म्हं लड़ी लड़ाई..हो..ओ..हो..ओ सत्तावन म्हं लड़ी लड़ाई, नारनौल कै परलै-पार।
हीरवाळ के योद्धा लड़ इत,उन गोरां पै कर ग्ये मार।
राव तुला-गोपाल लड़े रै, खप ग्ये योद्धा पाँच हजार।
राज्जा नाहर बल्लभगढ़ के..हो..ओ..हो...ओ...
राजा नाहर बल्लभगढ़ के, अंँगरेजां नै धर ग्ये धार।
लड़े नवाब खूब झाज्जर के, पूरा हरियाणा था त्यार।
पाणीपत,खरखोदा गैल्यां,लड़ ग्ये हांसी असँध-हिसार।।....2

फ़ौज बणी इत नेत्ताजी की...हो..ओ..हो..ओ
फ़ौज बणी इत नेत्ताजी की, नेत्ताजी जी वै वीर सुभास।
हरियाणा के वीर-गाभरू हुए फ़ौज म्हं झटदे पास।
खूब लड़े आज़ादी खात्तर, नहीं बणे गोरां के दास।
गांधी बाबा के अनुयायी..हो..ओ...हो...ओ
गांधी बाबा के अनुयायी, इस माट्टी म्हं पग-पग खास।
खादी अर आजादी खात्तर, चरखे पै इत कत्या कपास।
जींद-पटौदी लोहारू अर,पटियाळा-दोजाणा आस।।.....3

मांँ-घुट्टी अर मांँ-लोरी इत हो..ओ..हो..ओ
माँ-घुट्टी अर माँ-लोरी इत, सदा सिखावै इतना सार।
रणभूम्मी म्हं मर-मिट जाणा,देस-धरम पै होय निसार।
सदा हिंद पै मिटते आये, वीर अनूठे पहरेदार।
घर-घर फौजी हरियाणा म्हं...हो..ओ..हो..ओ
घर-घर फ़ौजी हरियाणा म्हं, पग-पग बांके मिलैं हजार।
लड़ै फ़ौज में हर इक दसमां, इस माटी का गभरू त्यार।
बासठ-पैंसठ साथ इकहत्तर कारगिल नै जाणै संसार।.....4

साल चोहतर पूरे होग्ये..हो..ओ.. हो..ओ
साल चोहतर पूरे होग्ये, आज़ादी के गावां गीत। 'इमरत-उत्सव' दिखे मनावां, आज़ादी के बणकै मीत। जीणा-मरणा सदा देस पै, म्हारी रही पुराणी रीत।
सीस नवावां उन वीरां नै..हो..ओ..हो..ओ
सीस नवावां उन वीरां नै, खुद मिट ग्ये पर देग्ये जीत। ज्यान लुटा ग्ये मां-भूम्मी पै, अंगरेजां की पाड़ी फीत। धन-धन हरियाणा की माटी,
बणी रहै या न्यारी नीत।।..

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