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वैश्विक भूख सूचकांक में पाकिस्तान- नेपाल और बांग्लादेश से भी पीछे है भारत, सरकार पर बरसे राहुल

Updated Oct 17, 2020 | 10:36 IST

वर्ल्ड हंगर इंडेक्स की 2020 की रैंकिंग आ गई हैं। 107 देशों वाले सूचकांक में भारत 94वां नंबर पर है. भारत को 27.2 के स्कोर के साथ, गंभीर श्रेणी में रखा गया है।

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वैश्विक भूख सूचकांक में पाकिस्तान-नेपाल से भी पीछे है भारत
मुख्य बातें
  • वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 94वें पायदान पर पहुंचा
  • पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देश भारत से आगे
  • 107 देशों के इस सूचकांक में लीबिया और चाड़ जैसे देश हैं भारत से पीछे

नई दिल्ली: वैश्विक भूख सूचकांक 2020 (World Hunger Index 2020) जारी हो गया है और इस बार भी भारत की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। 107 देशों वाले इस सूचकांक में भारत का 94वां नंबर है जो गंभीर श्रेणी में आता है। गौर करने वाली बात ये है कि इस सूची में बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देश भारत से आगे हैं। पाकिस्तान की रैंक 88वीं रैंक है जबकि नेपाल 73वें और बांग्लादेश 75वें स्थान पर है। इंडोनेशिया जैसे देश भी इस सूची में 70वें स्थान पर है। इस रैकिंग को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोला है।

राहुल का निशाना

राहुल गांधी ने वैश्विक भूख सूचकांक को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर कहा, 'भारत का ग़रीब भूखा है क्योंकि सरकार सिर्फ़ अपने कुछ ख़ास ‘मित्रों’ की जेबें भरने में लगी है।' रिपोर्ट्स के मुताबिक इस सूची में भारत से पीछे केवल नाइजीरिया, अफगानिस्तान, लीबिया, चाड़ जैसे देश हैं। सूचकांक जिस डाटा पर आधारित है उसमें निरंतर संशोधन और सुधार होते रहते हैं। भारत का स्कोर इसमें  27.2 है जबकि पाकिस्तान का 24.6, बांग्लादेश का 20.4 और नेपाल का 19.5 स्कोर है।

चार मानदंडों को लेकर बनता है सूचकांक

 यह सूचकांक अपने स्कोर को निर्धारित करने के लिए चार मापदंडों का उपयोग करता है। भारत में बच्चे की दुर्बलता(उम्र की तुलना में कम वजन, तीव्र कुपोषण को दर्शाता है) और बच्चे के वृद्धि पर रोक (उम्र की तुलना में कम लंबाई, पुरानी कुपोषण को दर्शाता है) में सबसे खराब है, जो कुल स्कोर का एक तिहाई बनाते हैं। यद्यपि यह अभी भी सबसे गरीब श्रेणी में है, हालांकि, बच्चे की वृद्धि पर रोक में वास्तव में काफी सुधार हुआ है, यह 2000 के 54% से  घटकर अब 35% से कम हो गया है। 

ये रिपोर्ट हर साल आती है और जिन देशों का स्कोर नीचे रहता है, उनकी रैंकिंग ऊंची होती है। इसके विपरीत जिनका स्कोर अधिक होता है, जैसे भारत का, उन्हें खराब रैंकिंग मिलती है।

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